नक्सल प्रभावित अंचलों में पहुँची जीवनरक्षक स्वास्थ्य सेवाएँ, नाव से नदी पार कर शिविर तक पहुँचे डॉक्टर

रायपुर, 21 सितम्बर 2025।
छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में दुर्गम जंगल, उफनती नदियाँ और नक्सली गतिविधियाँ—इन सबके बीच भी स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच अब गाँव–गाँव तक हो रही है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल के मार्गदर्शन में स्वास्थ्यकर्मी अपने दायित्व को सर्वोपरि मानकर काम कर रहे हैं।

बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और कांकेर जैसे जिलों में अब गुणवत्तापूर्ण इलाज आमजन को मिल रहा है। बीजापुर जिले में “स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार” अभियान ने उम्मीद की नई किरण जगाई है। बीते शनिवार को स्वास्थ्य दल ने स्वयं नाव चलाकर इंद्रावती नदी पार की और अबूझमाड़ से लगे ग्राम कोंडे में शिविर लगाया। यहाँ 132 मरीजों की जांच की गई, जिनमें मलेरिया, त्वचा रोग और सर्दी–खाँसी प्रमुख रहे।

खास बात यह रही कि 10 गर्भवती महिलाओं की विस्तृत जांच, टीकाकरण और सुरक्षित मातृत्व संबंधी परामर्श भी प्रदान किया गया। मातृ स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत महिलाओं को पोषण और एनीमिया से बचाव के सुझाव दिए गए।

बीते तीन दिनों के दौरान बीजापुर जिले में अभियान की गति उल्लेखनीय रही। इस दौरान—

  • 3,177 उच्च रक्तचाप के मामले सामने आए।
  • 2,823 महिलाओं की मुख, स्तन और सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग हुई।
  • 314 गर्भवती महिलाओं को जांच, टीकाकरण और परामर्श मिला।
  • 1,200 से अधिक लोगों की टीबी स्क्रीनिंग और 800 से अधिक की सिकल सेल जांच की गई।

ये आँकड़े केवल संख्याएँ नहीं बल्कि उस संकल्प का प्रतीक हैं कि मातृ और शिशु स्वास्थ्य सेवाएँ सबसे दूरस्थ गाँवों तक भी बाधित न हों।

जंगल और पहाड़ पार कर, नाव चलाकर गाँव तक पहुँचे डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों ने यह साबित किया है कि जब संकल्प मजबूत हो तो नक्सल प्रभावित इलाकों में भी सकारात्मक बदलाव संभव है।

सरकार का यह प्रयास इस विचार को मजबूत करता है कि—
“स्वस्थ नारी ही सशक्त परिवार की आधारशिला है।”

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