नई दिल्ली, 21 सितम्बर 2025।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रविवार रात राष्ट्र को संबोधित करते हुए जीएसटी (GST) सुधारों को “बचत उत्सव” और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम बताए जाने के बाद विपक्ष ने उन पर जोरदार हमला बोला है।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पर जीएसटी परिषद (GST Council) के फैसलों का स्वामित्व अकेले लेने का आरोप लगाया। कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी 2017 से ही “GST 2.0” की मांग कर रही थी।
उन्होंने कहा, “जीएसटी असल में ‘Growth Suppressing Tax’ है। इसमें बहुत अधिक टैक्स स्लैब, दंडात्मक दरें, बड़े पैमाने पर चोरी और गलत वर्गीकरण, महंगा अनुपालन और उलटा शुल्क ढांचा शामिल रहा है।”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री पर तीखा कटाक्ष करते हुए कहा—
“नौ सौ चूहे खाकर, बिल्ली हज को चली।”
उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने जनता पर नौ अलग-अलग स्लैब लगाकर आठ वर्षों में 55 लाख करोड़ रुपये वसूले और अब 2.5 लाख करोड़ रुपये की ‘बचत’ की बात कर रहे हैं।
“जनता कभी नहीं भूलेगी कि आपने उनके दाल-चावल, किताबें, इलाज और किसानों के ट्रैक्टर तक पर जीएसटी वसूला था। सरकार को जनता से माफी मांगनी चाहिए।”

इधर, तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भी जीएसटी सुधारों को जनता विरोधी करार दिया। पार्टी नेता कुनाल घोष ने दावा किया कि केंद्र सरकार को दरों में बदलाव करने के लिए ममता बनर्जी और टीएमसी के दबाव का सामना करना पड़ा।
उन्होंने कहा, “आम लोगों की ज़रूरत की चीजों पर ज्यादा जीएसटी और अमीरों की विलासिता की चीजों पर कम जीएसटी लगाना, यह जनता के साथ अन्याय था।”
मोदी सरकार के इस बड़े सुधार पर विपक्ष का आक्रामक तेवर साफ कर रहा है कि आने वाले दिनों में संसद से लेकर सड़कों तक जीएसटी को लेकर राजनीतिक टकराव और बढ़ सकता है।
