भोपाल। “टाइगर स्टेट” कहलाने वाले मध्यप्रदेश ने अब अपने बाघों को पड़ोसी राज्यों के जंगलों में बसाने की तैयारी तेज कर दी है। बांधवगढ़, पेंच और कान्हा टाइगर रिजर्व से करीब 10 बाघों का चयन कर उन्हें छत्तीसगढ़, राजस्थान और ओडिशा भेजा जाएगा। इनमें नर-मादा की जोड़ी भी शामिल होगी, ताकि इन राज्यों में बाघों की संख्या बढ़ने के साथ ही जीन पूल भी मजबूत हो सके।
मध्यप्रदेश में फिलहाल 785 बाघ दर्ज हैं, जो पूरे देश में सबसे ज्यादा है। बढ़ती संख्या के कारण कई रिजर्व इलाकों में जगह कम पड़ने लगी है और बाघों के बीच क्षेत्र (टेरेटरी) को लेकर संघर्ष भी बढ़ रहा है। ऐसे में यह पहल न केवल संतुलन बनाएगी बल्कि उन राज्यों में भी नई जान डालेगी, जहां बाघों की आबादी अपेक्षाकृत कम है।
एनटीसीए की मंजूरी और सुरक्षित स्थानांतरण
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) से मंजूरी मिलने के बाद ही यह प्रक्रिया शुरू होगी। खास बात यह है कि ट्रांसलोकेशन का पूरा खर्च संबंधित राज्य ही वहन करेंगे। चयनित बाघों को अत्याधुनिक वाहनों में सुरक्षित तरीके से ले जाया जाएगा। पूरी प्रक्रिया के दौरान अधिकृत पशु चिकित्सक और निगरानी दल मौजूद रहेंगे ताकि बाघों को किसी भी तरह की परेशानी न हो।
अक्टूबर में होगा अधिकारियों का प्रशिक्षण
इस पहल को सफल बनाने के लिए मध्यप्रदेश अक्टूबर 2025 में विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगा। इसमें छत्तीसगढ़, राजस्थान और ओडिशा के वन अधिकारी शामिल होंगे। उन्हें बाघों की देखभाल, ट्रैकिंग और संरक्षण की बारीकियां सिखाई जाएंगी। माना जा रहा है कि यह प्रशिक्षण भविष्य में इन राज्यों को अपने बाघों के प्रबंधन और संरक्षण रणनीतियों में बड़ी मदद देगा।
यह पहली बार है जब मध्यप्रदेश इतने बड़े पैमाने पर अन्य राज्यों को बाघ उपलब्ध करा रहा है। वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि यह कदम देशभर में बाघों की संख्या संतुलित करने और उनके सुरक्षित भविष्य की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
