भिलाई। छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (CSVTU) भिलाई में पूर्व कुलपति प्रो. डॉ. एम. के. वर्मा की बनाई गई विवादित “राजशाही न्यायालय जैसी बैठक व्यवस्था” को आखिरकार हटा दिया गया है। यह व्यवस्था वर्ष 2017-18 में नए भवन के निर्माण के समय बनाई गई थी, जिसमें कुलपति के कक्ष को अदालत जैसी ऊंची कुर्सी और डायस पर बैठने के तौर-तरीके से सजाया गया था।
विश्वविद्यालय में आने वाले लोग अक्सर हैरानी जताते थे कि शिक्षा जगत के शीर्ष पद पर बैठे कुलपति को न्यायालयीन शैली की बैठक व्यवस्था क्यों चाहिए? इसे राजशाही और सामंतवादी सोच का प्रतीक बताया जाता रहा। शिकायतें भी हुईं, लेकिन तत्कालीन राजनीतिक संरक्षण के चलते कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
अक्टूबर 2024 में प्रो. वर्मा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद अतिरिक्त प्रभार में कार्यरत रायपुर के पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति ने सामान्य ढंग से शोफे पर बैठकर कार्य किया। उन्होंने भवन निर्माण शाखा को इस व्यवस्था को हटाने का निर्देश भी दिया, लेकिन अधिकारी ने इसे टाल दिया।
आखिरकार 18 अगस्त 2025 को पदभार संभालने वाले वर्तमान कुलपति डॉ. अरुण अरोड़ा ने अपने कार्यकाल के दूसरे दिन ही इस राजशाही व्यवस्था को हटाने का कड़ा आदेश दिया। अब विश्वविद्यालय में समतलीय बैठक व्यवस्था लागू कर दी गई है, जिसमें कुलपति और आगंतुक सामान्य रूप से आमने-सामने बैठते हैं।
नई व्यवस्था से विश्वविद्यालय का वातावरण सहज और संवादमुखी हुआ है। कुलपति अरुण अरोड़ा प्रतिदिन छात्रहित और प्रशासनिक सुधारों को लेकर प्रभावी निर्देश जारी कर रहे हैं। हालांकि, विश्वविद्यालय अभी भी नियमित कुलसचिव की नियुक्ति के इंतजार में है। दो वर्षों से प्रभारी कुलसचिव परिवारवाद और व्यक्तिगत प्रभाव के चलते मनमानी कर रहे हैं। इस कारण विश्वविद्यालय के हित में छात्र और बुद्धिजीवी वर्ग शासन से मांग कर रहे हैं कि जल्द ही किसी अनुभवी प्रोफेसर को कुलसचिव के पद पर पदस्थ किया जाए।
