रायपुर, 19 सितंबर 2025। छत्तीसगढ़ राज्य जीएसटी विभाग ने एक बड़े कर घोटाले का खुलासा करते हुए बोगस फर्म और बोगस बिल तैयार करने वाले सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। इस सिंडिकेट का मास्टर माइंड मो. फरहान सोरठिया, जो खुद को जीएसटी कर सलाहकार बताता था, करोड़ों रुपये की हेराफेरी में लिप्त पाया गया।
📌 जांच और खुलासे
राज्य जीएसटी की बीआईयू टीम एक महीने से इस प्रकरण पर निगरानी कर रही थी। 12 सितंबर को फरहान सोरठिया के ऑफिस पर छापा मारा गया, जहाँ से 172 फर्मों से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए। फरहान ने अपने स्टाफ की मदद से फर्जी पंजीयन कराकर ई-वे बिल और रिटर्न दाखिल किए थे।
केवल 26 बोगस फर्मों से ही 822 करोड़ रुपये के ई-वे बिल जनरेट किए गए, जबकि रिटर्न में महज 106 करोड़ रुपये का टर्नओवर दिखाया गया। प्रारंभिक आकलन के अनुसार, इन फर्मों से ही राज्य को 100 करोड़ रुपये से अधिक जीएसटी का नुकसान हुआ है।
📌 कैसे चलता था फर्जीवाड़ा
फरहान के ऑफिस से किरायानामा, सहमति पत्र और एफिडेविट जैसे बोगस दस्तावेज भी मिले। इनका उपयोग फर्जी फर्म पंजीयन और बोगस सप्लाई बिल बनाने में किया जाता था। जांच में पता चला कि सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ के अलावा पंजाब, असम, मणिपुर और ओडिशा में भी पंजीयन कराया था।
📌 1.64 करोड़ रुपये कैश और सोना बरामद
17 सितंबर को विभाग ने फरहान के चाचा मो. अब्दुल लतीफ सोरठिया के आवास पर भी छापा मारा। यहाँ से 1.64 करोड़ रुपये नकद और 400 ग्राम सोने के 4 बिस्किट मिले। इन्हें जब्त कर आयकर विभाग को सूचना दी गई है।
📌 आगे की कार्रवाई
जांच में यह भी सामने आया है कि इस घोटाले में कई ब्रोकर, स्क्रैप डीलर और इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा लेने वाली कंपनियाँ भी शामिल हैं। विभाग अब पूरे नेटवर्क की गहन पड़ताल कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि यह मामला राज्य का अब तक का सबसे बड़ा जीएसटी फ्रॉड हो सकता है।
राज्य कर विभाग ने साफ किया है कि जांच जारी है और जल्द ही इस पूरे कर घोटाले में शामिल सभी आरोपियों को कानून के शिकंजे में लाया जाएगा।
