रायपुर। छत्तीसगढ़ का अब तक का सबसे बड़ा शराब घोटाला उजागर हुआ है, जिसमें करोड़ों की अवैध कमाई, हवाला नेटवर्क, नकली होलोग्राम और रियल एस्टेट साम्राज्य का खुलासा हुआ है। इस पूरे घोटाले के केंद्र में हैं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल, जिन्हें ईडी की गिरफ्त में लिया गया है और जल्द ही आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) भी गिरफ्तारी कर सकती है।
15 सितंबर को ईडी ने विशेष अदालत में 7,000 पन्नों की पांचवीं सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की। इसमें साफ तौर पर लिखा गया है कि चैतन्य बघेल ने अकेले 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का काला धन संभाला और उसे प्रॉपर्टी व कारोबार में बदलकर समानांतर प्रभावशाली साम्राज्य खड़ा किया।
घोटाले की शुरुआत फरवरी 2019 में रायपुर के एक होटल में हुई बैठक से मानी जाती है, जिसमें कांग्रेस नेता अनवर ढेबर, उद्योगपति और अफसर शामिल थे। यहीं तय हुआ कि शराब आपूर्ति पर कमीशन वसूला जाएगा और बदले में डिस्टिलरी ऑपरेटरों को अतिरिक्त दरें दी जाएंगी।
जांच में सबसे चौंकाने वाली बात सामने आई—एक व्हाट्सऐप ग्रुप ‘बिग बॉस’। इसी ग्रुप से करोड़ों के लेनदेन, नकली होलोग्राम, ट्रकों की अवैध खेप और ठेकेदारों को भुगतान जैसे फैसले लिए जाते थे। ग्रुप में चैतन्य बघेल को ‘बिट्टू’ नाम से सेव किया गया था। चार्जशीट में चैट स्क्रीनशॉट तक शामिल हैं, जिनमें कॉल डिटेल, नकदी के बंटवारे और निर्देश दर्ज हैं।
ईडी के मुताबिक, 2022-23 में हर महीने लगभग 400 ट्रक अवैध शराब की खेप निकाली गई। हर केस पर 3,000 रुपये तक की अवैध कमाई हुई। इसके अलावा लाइसेंसिंग सिस्टम और नकली होलोग्राम से भी सैकड़ों करोड़ की कमाई हुई।
जांच में यह भी सामने आया कि चैतन्य बघेल ने विठ्ठल ग्रीन और बघेल डेवलपर्स जैसे प्रोजेक्ट्स के जरिए काले धन को सफेद करने की कोशिश की। कई ज्वेलर्स और कारोबारी भी इसमें शामिल मिले, जिन्होंने नकली ‘लोन’ और सस्ती जमीन की खरीद-फरोख्त से पैसा घुमाया।
ईडी ने इस पूरे नेटवर्क को “हाई परफॉर्मेंस करप्शन इंजन” बताया है, जिसमें अफसर, नेता, कारोबारी, बोतल सप्लायर, और यहां तक कि होलोग्राम प्रिंटर तक शामिल थे।
हालांकि, चैतन्य बघेल के वकील फैसल रिज़वी ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया है। उनका कहना है कि गिरफ्तारी गैरकानूनी है और उनके मुवक्किल को बलि का बकरा बनाया गया है।
