बस्तर: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी नल-जल योजना का हाल बस्तर में बदहाल दिखाई दे रहा है। योजना का मकसद हर घर तक नल के जरिए पानी पहुंचाना है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। घाटकवाली गांव के ग्रामीणों का आरोप है कि नल लगाने के नाम पर उनसे खुलेआम वसूली की जा रही है।
ग्रामीणों ने बताया कि किसी से 500, किसी से 700 और कुछ से तो 750 रुपये तक वसूले गए। बावजूद इसके, नल सही तरीके से नहीं लगाए गए और जहां लगे भी हैं, वहां टोटी तक नहीं लगाई गई।
गांव के पंच फरसू राम ने बताया, “मुझे शिकायतें मिली हैं कि पंचायत क्षेत्र में नल लगाने के नाम पर पैसे लिए जा रहे हैं और ग्रामीणों को खुद ही पाइप के लिए गड्ढा खोदने को कहा जा रहा है।”
ग्रामीण तुला राम बघेल का कहना है, “मुझसे 450 रुपये मांगे गए थे, मैंने 300 रुपये दिए। इसके बाद गड्ढा खोदने और दीवार में छेद करने का काम भी खुद ही किया।”
इसी तरह सालिक राम ने भी आरोप लगाया कि उनसे 750 रुपये वसूले गए और गड्ढा खोदने से लेकर पाइप बिछाने तक का काम उन्होंने खुद किया।
लोगों का कहना है कि जिन घरों में नल पहुंचे भी हैं, वहां तक पानी नहीं आ रहा। कई घरों में नल के खंभे तक नहीं लगाए गए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि पैसे की मांग पूरी न करने पर उन्हें धमकाया भी जा रहा है।
सरकार विकास के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन यह योजना बस्तर में ठेकेदारों के लिए मुनाफाखोरी का साधन बनकर रह गई है। फिलहाल ग्रामीण प्रशासन से न्याय और सही व्यवस्था की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
