जादुई कलश बेचकर करोड़ों का लालच, 1.90 करोड़ की ठगी का खुलासा, चार आरोपी गिरफ्तार

पत्थलगांव। “करोड़ों दिलाएंगे, बस थोड़ा निवेश कीजिए”— इसी झांसे में जशपुर, सरगुजा, बिलासपुर और रायगढ़ जिलों के दर्जनों लोग फंस गए। ठगों ने जादुई कलश की कहानी गढ़कर लोगों से लाखों रुपये ऐंठ लिए। मामला उस वक्त उजागर हुआ जब पत्थलगांव थाना क्षेत्र की प्रार्थिया अमृता बाई ने शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस के अनुसार, ठगों ने दावा किया था कि कोरबा जिले के मड़वारानी शक्तिपीठ में मिला जादुई कलश अरबों की कीमत का है और इसे विदेश में बेचकर भारी रकम हासिल की जाएगी। उन्होंने लोगों को झांसा दिया कि इस धनराशि से अनुदान के रूप में हर सदस्य को 1 से 5 करोड़ रुपये मिलेंगे। इसके लिए उन्होंने “आरपी ग्रुप कंपनी” नामक फर्जी संगठन बनाकर रजिस्ट्रेशन और केवाईसी शुल्क के तौर पर 2500 रुपये वसूले।

कैसे खुला खेल?
चार साल तक इंतजार के बाद जब पीड़िता को कोई लाभ नहीं मिला, तो उसने आरोपियों से संपर्क किया। जवाब टालमटोल का मिला। इसके बाद शिकायत पर कांसाबेल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की।

एसएसपी शशि मोहन सिंह ने बताया कि जांच में यह गिरोह जशपुर, सरगुजा, कोरबा और बिलासपुर में 1.90 करोड़ रुपये की ठगी कर चुका है। अब तक कोरबा निवासी तुरेन्द्र उर्फ मनीष दिव्य, जशपुर के प्रकाशचंद्र धृतलहरे, रायपुर के राजेंद्र कुमार दिव्य और सरगुजा के उपेंद्र कुमार को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया है।

मास्टर माइंड फरार
पुलिस ने बताया कि इस ठगी का मास्टर माइंड महेंद्र बहादुर सिंह ठाकुर है, जो फिलहाल फरार है। पूछताछ में गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि महेंद्र ने ही उन्हें जादुई कलश की कहानी समझाकर गिरोह में जोड़ा था। कहा गया था कि यह कलश चावल अपनी ओर खींचता है और विदेशों में अरबों में बिक सकता है।

फर्जी कंपनी और बड़े दावे
आरोपियों ने खुलासा किया कि महेंद्र ने 20 लोगों के साथ मिलकर फर्जी कंपनी बनाई थी और दावा किया कि इसमें शामिल होने वाले प्रत्येक सदस्य को 1 से 5 करोड़ रुपये अनुदान मिलेगा। इसी बहाने लोगों से 25 से 70 हजार रुपये तक वसूले गए।

एसएसपी ने कहा कि जांच अभी जारी है और ठगी की रकम और भी बढ़ सकती है। फिलहाल पुलिस फरार मास्टर माइंड की तलाश में जुटी है।

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