बिलासपुर, 12 सितम्बर 2025। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक स्थानीय हिंदी दैनिक में प्रकाशित खबर पर स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमें खुलासा किया गया था कि बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (CIMS) में डॉक्टरों को अब भी पुराने उपकरणों के सहारे ही ऑपरेशन और इलाज करना पड़ रहा है।
समाचार रिपोर्ट में बताया गया कि राज्य सरकार ने चार माह पहले ही सीआईएमएस के लिए 15 करोड़ रुपये के आधुनिक चिकित्सीय उपकरण खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी, लेकिन अब तक एक भी मशीन संस्थान तक नहीं पहुंच पाई है। इससे न केवल मरीजों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं, बल्कि डॉक्टरों को भी अतिरिक्त समय और श्रम लगाना पड़ रहा है।
उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने टिप्पणी की,
“यह दुखद है कि पर्याप्त धन उपलब्ध होने के बावजूद उपकरण उपलब्ध नहीं कराए गए। यदि समय पर मशीनें मिल जातीं तो डॉक्टर अधिक संख्या में मरीजों का उपचार कर सकते थे और गुणवत्तापूर्ण इलाज भी सुनिश्चित हो पाता।”
इस बीच, सीआईएमएस प्रबंधन ने लगभग 66 लाख रुपये की लागत से कुछ मशीनें खरीदी हैं, जिनमें सोनोग्राफी और डायलिसिस उपकरण शामिल हैं। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि यह संख्या बेहद कम है और वास्तविक जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं है। उनका अनुमान है कि यदि नई मशीनें उपलब्ध हो जाएं, तो कम समय में अधिक मरीजों का इलाज संभव होगा और उपचार की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा।
इस मामले में हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के सचिव और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉरपोरेशन लिमिटेड (CMSCL) के प्रबंध निदेशक को व्यक्तिगत शपथ-पत्र (personal affidavit) प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि मरीजों और डॉक्टरों दोनों की परेशानियों को देखते हुए मामले को गंभीरता से लिया जाएगा।
