भिलाई, 12 सितम्बर 2025।
इक्कीसवीं सदी में जब पूरा देश डिजिटल इंडिया की राह पर तेजी से बढ़ रहा है और छोटे-छोटे व्यापारी भी यूपीआई और कैशलेस पेमेंट की सुविधा दे रहे हैं, तब स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (CSVTU) भिलाई में नकद फीस वसूली की परंपरा सवालों के घेरे में है। विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में छात्रों से नकद फीस लेने और उसकी रसीद बुक में हेराफेरी की चर्चाएं तेज हैं।
नकद वसूली पर छात्रों की नाराजगी
छात्र-छात्राओं का आरोप है कि एक ही विश्वविद्यालय में अलग-अलग विभागों में फीस वसूली की अलग-अलग व्यवस्था अपनाई गई है।
- सामान्य फीस एक निर्धारित काउंटर पर नकद लेकर रसीद दी जाती रही।
- यूटीडी (UTD) में प्रवेश पाने वाले छात्रों से नकद फीस ली जाती है।
- पीएचडी सेक्शन में भी शोधार्थियों से मनमानी नकद वसूली की गई।
सूत्रों का कहना है कि कई विभागों में नकद ली गई राशि विश्वविद्यालय के खाते में जमा ही नहीं की गई। इतना ही नहीं, पीएचडी सेक्शन की रसीद बुक के सीरियल नंबर डुप्लीकेट होने की भी शंका जताई जा रही है।
गहन जांच की मांग
छात्रों और शोधार्थियों का कहना है कि यह खेल पिछले दस वर्षों से जारी है और इसमें उच्च अधिकारियों की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने नए कुलपति से मांग की है कि:
- सभी विभागों की नकद फीस की रसीद बुक की गहन जांच कराई जाए।
- दोषी कर्मचारियों के खिलाफ अमानत में ख़यानत (FIR) दर्ज की जाए।
- सभी फीस को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर पारदर्शी तरीके से सार्वजनिक किया जाए।
- ऑनलाइन और कैशलेस पेमेंट की अनिवार्य सुविधा शुरू की जाए।
पुरानी जांच पर भी उठे सवाल
गौरतलब है कि सितंबर 2024 में विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच हेतु कुलाधिपति महोदय ने तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था। लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बाद भी उस जांच समिति की रिपोर्ट अब तक लंबित है।
कुलपति का भरोसा
नव नियुक्त कुलपति डॉ. अरुण अरोरा ने छात्रों को आश्वस्त किया है कि विश्वविद्यालय में:
- आधुनिक डिजिटल तकनीक को बढ़ावा दिया जाएगा।
- कैशलेस भुगतान व्यवस्था को लागू किया जाएगा।
- पूर्व वर्षों की वित्तीय अनियमितताओं की गहन जांच कराई जाएगी।
छात्रों को विश्वास है कि नए कुलपति विवेकानंद के सिद्धांतों के अनुरूप विश्वविद्यालय में पारदर्शिता और तकनीकी विकास सुनिश्चित करेंगे।
