डीजल में 10% आइसोब्यूटेनॉल मिलाने की तैयारी, किसानों की आय बढ़ाने और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम

नई दिल्ली, 12 सितम्बर 2025।
देश में ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की तलाश को लेकर केंद्र सरकार ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को बताया कि ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) डीजल में 10% आइसोब्यूटेनॉल मिलाने की संभावना तलाश रहा है।

उन्होंने कहा कि पहले डीजल में 10% एथनॉल मिलाने के परीक्षण सफल नहीं हो पाए थे, लेकिन अब आइसोब्यूटेनॉल को मिश्रण के तौर पर उपयोग करने के साथ-साथ उसके स्टैंडअलोन ईंधन के रूप में इस्तेमाल की संभावना भी देखी जा रही है।

आइसोब्यूटेनॉल क्या है?

आइसोब्यूटेनॉल एक अल्कोहलिक यौगिक है, जिसमें ज्वलनशील गुण होते हैं। इसे पेंट, कोटिंग और अन्य उद्योगों में सॉल्वेंट के रूप में प्रयोग किया जाता है। अब सरकार इसे ईंधन मिश्रण के तौर पर आज़माना चाहती है।

किसानों को होगा फायदा

गडकरी ने कहा कि एथनॉल मिश्रण की नीति से किसानों को जबरदस्त लाभ मिला है। मक्का (कॉर्न) आधारित एथनॉल के चलते किसानों को अब तक ₹42,000 करोड़ से अधिक की अतिरिक्त आय हुई है। मक्का की कीमतें भी ₹1,200 प्रति क्विंटल से बढ़कर ₹2,600–2,800 प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं।

उन्होंने बताया कि ट्रैक्टर और कृषि उपकरण बनाने वाली कंपनियों ने सीएनजी और आइसोब्यूटेनॉल के मिश्रण को फ्लेक्स फ्यूल विकल्प के तौर पर अपनाने में रुचि दिखाई है।

किसानों और चीनी उद्योग के लिए राहत

कार्यक्रम में उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार किसानों की आय और चीनी मिलों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए निरंतर नीति बना रही है।

  • उन्होंने बताया कि वर्तमान चीनी सत्र की 96% से अधिक भुगतान राशि किसानों को मिल चुकी है और गन्ना बकाया अब तक के न्यूनतम स्तर पर है।
  • उन्होंने बायोफ्यूल उत्पादकों से आग्रह किया कि वे उत्पादन बढ़ाएं और वैश्विक बाजार में निर्यात की दिशा में भी काम करें।
  • उन्होंने दूसरे और तीसरे चरण के एथनॉल उत्पादन (जैसे बांस और कृषि अवशेष से) की तकनीक अपनाने पर भी ज़ोर दिया।

उद्योग जगत की मांग

इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) के अध्यक्ष गौतम गोयल ने सरकार से आग्रह किया कि गन्ने की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और न्यायसंगत एवं लाभकारी मूल्य (FRP) को लागत के अनुरूप संशोधित किया जाए। उन्होंने 2025-26 चीनी सत्र में 20 लाख टन निर्यात कोटा बढ़ाने की भी मांग रखी, ताकि चीनी मिलें बेहतर कीमत और बाज़ार मूल्य हासिल कर सकें।

उत्पादन में तेजी

प्रह्लाद जोशी ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में गन्ने का उत्पादन 40% और चीनी का उत्पादन 58% बढ़ा है। आईएसएमए के शुरुआती अनुमान बताते हैं कि इस साल भारत का सकल चीनी उत्पादन 20% बढ़कर 34.9 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा।

मानवीय पहलू

इस पहल से जहां किसान अधिक आय अर्जित करेंगे, वहीं देश आयात पर निर्भरता घटाकर ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति किसानों के जीवन स्तर को सुधारने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने में भी सहायक होगी।

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