गरियाबंद (छत्तीसगढ़), 12 सितम्बर 2025।
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद ज़िले में गुरुवार (11 सितम्बर) को सुरक्षाबलों ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के केंद्रीय समिति सदस्य मनोज उर्फ मोडेम बालकृष्णा समेत 10 नक्सलियों को मुठभेड़ में ढेर कर दिया। मनोज पर ₹1 करोड़ का इनाम था। इस बड़ी सफलता की पुष्टि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी की है।
कैसे चला ऑपरेशन
गरियाबंद के पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा ने बताया कि सुरक्षाबलों की संयुक्त टीम ने एक विशेष एंटी-नक्सल ऑपरेशन शुरू किया था। गुरुवार शाम 7.20 बजे तक 10 नक्सलियों के शव बरामद कर लिए गए। सर्च ऑपरेशन अब भी जारी है।
इस ऑपरेशन में स्पेशल टास्क फोर्स (STF), गरियाबंद पुलिस की E-30 यूनिट और सीआरपीएफ की विशिष्ट इकाई कोबरा (CoBRA) के जवान शामिल थे।
मनोज का नक्सली सफर
- जानकारी के मुताबिक, मनोज ने 1983 में पढ़ाई बीच में छोड़कर नक्सली आंदोलन जॉइन किया और भद्राचलम के जंगलों में सक्रिय हो गया।
- उसे कई बार गिरफ्तार किया गया था। 1987 में महबूबनगर पुलिस ने उसके कमरे पर छापा मारकर उसे गिरफ्तार किया।
- जनवरी 1990 में उसे अपहृत टीडीपी विधायक वेंकटेश्वर राव की रिहाई के बदले जेल से छोड़ा गया।
- 1993 में कुरनूल ज़िले से दोबारा पकड़ा गया और चंचलगुड़ा जेल में रखा गया, लेकिन 1999 में जमानत पर बाहर आकर वह फिर से भूमिगत हो गया।
मनोज उर्फ बलन्ना, रामचंदर और भास्कर नाम से भी जाना जाता था। वह सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय समिति का सदस्य और ओडिशा राज्य समिति (OSC) के पश्चिमी ब्यूरो का प्रभारी भी था।
नक्सल संगठन को बड़ा झटका
केंद्रीय समिति सीपीआई (माओवादी) की सर्वोच्च इकाई मानी जाती है। इस साल अब तक सुरक्षाबल 6 केंद्रीय समिति सदस्यों को ढेर कर चुके हैं।
- मई में बस्तर के नारायणपुर में नंबाला केसावा राव उर्फ बसवराजु, संगठन के पूर्व महासचिव मारे गए।
- जनवरी में गरियाबंद में ही चल्पति उर्फ जयराम मारा गया।
अब तक 2025 में छत्तीसगढ़ में अलग-अलग मुठभेड़ों में 241 नक्सली मारे जा चुके हैं, जिनमें से 212 केवल बस्तर डिवीजन में और 27 गरियाबंद ज़िले में ढेर हुए।
गृह मंत्री अमित शाह का बयान
गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा:
“मनोज पर ₹1 करोड़ का इनाम था। यह ऑपरेशन सुरक्षाबलों की बड़ी सफलता है। अब शेष नक्सलियों को आत्मसमर्पण कर देना चाहिए। 31 मार्च 2026 से पहले रेड टेरर (लाल आतंक) का पूरी तरह से सफाया निश्चित है।”
मानवीय पहलू
स्थानीय लोगों का कहना है कि लगातार हो रही इस तरह की कार्रवाइयाँ जंगलों और गांवों में दशकों से फैले भय के माहौल को बदल रही हैं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि अब उन्हें विकास और शांति का माहौल मिलेगा।
