धमतरी (छत्तीसगढ़), 12 सितम्बर 2025।
छत्तीसगढ़ के धमतरी ज़िले से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए बड़ा झटका देने वाली खबर आई है। यहां गंगरेल मंडल के ग्राम अछोटा से जुड़े करीब 400 भाजपा कार्यकर्ताओं ने सामूहिक इस्तीफा देकर पार्टी दफ्तर में जमा कर दिया। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी उनकी लगातार अनदेखी कर रहे हैं और उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई जा रही है।

नाराज़ कार्यकर्ताओं की आवाज़
मंगलवार को बड़ी संख्या में कार्यकर्ता भाजपा कार्यालय पहुंचे। उनका कहना था कि वे कई बार अपनी समस्याओं और गांव से जुड़े मुद्दों को पार्टी के उच्च पदाधिकारियों के सामने रख चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जब घंटों इंतजार के बावजूद कोई पदाधिकारी कार्यालय नहीं आया तो कार्यकर्ताओं ने इस्तीफे को कार्यालय की दीवार पर चिपकाकर लौटना बेहतर समझा।
भ्रष्टाचार और अनदेखी के आरोप
नाराज़ कार्यकर्ताओं ने बताया कि –
- 28 अप्रैल को वे चार बिंदुओं को लेकर “जनदर्शन” कार्यक्रम में पहुंचे थे। वहां उन्होंने पूर्व पदाधिकारियों के घोटालों की जानकारी दी थी, जिसकी जांच में बातें सही भी साबित हुईं, लेकिन कार्रवाई आज तक नहीं हुई।
- 21 जुलाई को भी उन्होंने इसी मुद्दे को दोहराया, लेकिन वरिष्ठ पदाधिकारी मौन रहे।
- कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पूर्व सरपंच और उप सरपंच ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय योजना की जमीन की अवैध बिक्री और तालाब खनन जैसे भ्रष्टाचार किए, लेकिन इसके बावजूद जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इस्तीफे में लिखा
इस्तीफे में लिखा गया:
“हम सभी ने पूरी निष्ठा से संगठन का दायित्व निभाया, लेकिन पंचायत चुनाव के बाद से हमारे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई गई। ग्रामीण समस्याओं को कई बार लिखित और मौखिक रूप से बताया गया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। हम इस उपेक्षा और प्रताड़ना से आहत होकर सामूहिक रूप से भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं।”
मंडल अध्यक्ष का बयान
गंगरेल मंडल की अध्यक्ष मोनिका देवांगन ने इस मामले में कहा कि प्रशासन अपना काम कर रहा है और दोनों पक्षों को बुलाकर जांच की जाएगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं को “कर्मठ और समर्पित” बताते हुए आश्वासन दिया कि उनकी भावनाओं और सम्मान का ध्यान रखा जाएगा। साथ ही, पार्टी के बड़े पदाधिकारियों से बात कर मामले को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने का प्रयास किया जाएगा।

बड़ा राजनीतिक संदेश
विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं का सामूहिक इस्तीफा आगामी चुनावी रणनीति और स्थानीय राजनीति के लिए भाजपा के सामने चुनौती खड़ी कर सकता है। यह प्रकरण केवल संगठनात्मक संकट नहीं बल्कि गांव-गांव तक फैली नाराज़गी का संकेत भी माना जा रहा है।
