रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में अडानी पावर लिमिटेड एक बार फिर विवादों में है। कंपनी के एक भूतपूर्व कर्मचारी ने प्रबंधन पर गंभीर प्रताड़ना के आरोप लगाते हुए इच्छा मृत्यु की मांग की है। पीड़ित ने चेतावनी दी है कि यदि तीन दिनों में उसे न्याय नहीं मिला तो वह कंपनी गेट के सामने आत्महत्या करने को मजबूर होगा।
पुसौर तहसील अंतर्गत ग्राम बड़े भंडार निवासी चिंतामणी प्रधान ने बताया कि उनकी जमीन कंपनी ने अधिग्रहित की थी। इसके बदले उन्हें डेढ़ साल के लिए नौकरी दी गई, लेकिन साजिशन चोरी के झूठे आरोप लगाकर जबरन कोरे कागज पर हस्ताक्षर करा लिए गए और नौकरी से निकाल दिया गया। उनका कहना है कि उन्होंने कभी स्वेच्छा से इस्तीफा नहीं दिया।
प्रधान का आरोप है कि कंपनी ने न तो उन्हें पुनर्नियुक्त किया और न ही OTS योजना के तहत पांच लाख रुपये का लाभ दिया। जबकि रायगढ़ सांसद राधेश्याम राठिया के अनुमोदन पर कंपनी ने नौकरी देने का वादा किया था।

पीड़ित का कहना है कि वह इस मामले को लेकर पांच-छह बार कलेक्टर जनदर्शन में आवेदन दे चुका है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इस बार उसने आवेदन में इच्छा मृत्यु की मांग की, जिसे रायगढ़ जिला कलेक्टर ने सख्ती से लेने से मना कर दिया।
प्रधान ने कंपनी के प्रोजेक्ट हेड, HR हेड, प्लांट हेड और सिक्योरिटी हेड पर झूठे दस्तावेज बनाने और दबाव डालने के आरोप भी लगाए हैं। उन्होंने कहा कि यदि 2015 से लंबित मुआवजा और अडानी पेरोल में नौकरी नहीं दी गई, तो वे कंपनी गेट के सामने आत्महत्या कर लेंगे। उन्होंने इस कदम की जिम्मेदारी अडानी प्रबंधन और संबंधित अधिकारियों पर डाली है।
इस घटना ने एक बार फिर कॉर्पोरेट कंपनियों और प्रभावित किसानों-कर्मचारियों के बीच उपजे विवादों को उजागर कर दिया है। स्थानीय लोग भी इस पूरे प्रकरण पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।
