छत्तीसगढ़ में तीन साल में दोगुनी हुई बाघों की संख्या, अब पहुँची 35 — मुख्यमंत्री ने संरक्षण प्रयासों को बताया सफल

रायपुर, 10 सितंबर 2025:
छत्तीसगढ़ में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में बड़ी उपलब्धि सामने आई है। राज्य में बाघों की संख्या पिछले तीन वर्षों में दोगुनी हो गई है। 2022 में जहाँ यह संख्या 17 थी, वहीं 2025 में यह बढ़कर 35 तक पहुँच गई है। ताज़ा बाघ गणना रिपोर्ट मंगलवार देर शाम मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आयोजित 15वीं छत्तीसगढ़ राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में साझा की गई।

मुख्यमंत्री साय ने कहा, “वन्यजीवों का संरक्षण और संवर्धन हमारी प्राथमिकता है। छत्तीसगढ़ वन संपदा और जैव विविधता से समृद्ध राज्य है, और सरकार इसके संरक्षण एवं विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।” उन्होंने बाघों की बढ़ी हुई संख्या को संरक्षण प्रयासों की सफलता का प्रमाण बताते हुए अन्य प्रजातियों के संरक्षण पर भी समान रूप से ध्यान देने की आवश्यकता जताई।

बैठक में शामिल प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) अरुण कुमार पांडे ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने मध्यप्रदेश से बाघों को उदंती-सीतानदी और गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व में स्थानांतरित करने की मंजूरी दे दी है। यह प्रक्रिया शीघ्र ही पूरी की जाएगी।

उन्होंने आगे बताया कि राज्य पक्षी हिल मैना के संरक्षण के लिए विशेष पहल की जा रही है। इसके लिए ‘मैना मित्र’ समूह का गठन किया गया है, जो इसके प्राकृतिक आवास की निगरानी करेगा।

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि राज्य के टाइगर रिज़र्व और कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटक सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा। इससे न केवल वन्यजीव पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आसपास के ग्रामीणों को भी रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जशपुर के नीमगाँव जैसे क्षेत्रों, जहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं, उन्हें समर्पित संरक्षण स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए।

छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या में यह वृद्धि केवल आँकड़ों की कहानी नहीं, बल्कि उन सैकड़ों वनकर्मियों, वैज्ञानिकों और ग्रामीणों की मेहनत का परिणाम है जिन्होंने दिन-रात मिलकर संरक्षण की दिशा में काम किया। अब राज्य सरकार का लक्ष्य है कि इसी तरह अन्य वन्यजीव प्रजातियों को भी सुरक्षित और संरक्षित किया जाए।

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