नई दिल्ली:
उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के भीतर कथित क्रॉस वोटिंग के आरोप अब एक बड़े राजनीतिक विवाद में बदल चुके हैं। NDA उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे सी.पी. राधाकृष्णन की जीत के बाद भाजपा ने विपक्ष पर तंज कसे तो वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने इस मामले में गंभीर जांच की मांग उठाई।
तिवारी ने कहा, “अगर क्रॉस वोटिंग हुई है तो यह बेहद गंभीर मामला है। यह भरोसे का उल्लंघन है और इंडिया गठबंधन के हर घटक दल को इसकी व्यवस्थित और निष्पक्ष जांच करनी चाहिए।”
भाजपा ने भी मौका नहीं गंवाया। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया पर लिखा, “कुछ इंडिया गठबंधन सांसदों का विशेष धन्यवाद, जिन्होंने अंतरात्मा की आवाज़ सुनकर NDA उम्मीदवार को वोट दिया।”
चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक उपराष्ट्रपति चुनाव में पार्टी व्हिप लागू नहीं होता और सांसद गुप्त मतदान में अपने विवेक से वोट डाल सकते हैं। लेकिन व्यवहार में अक्सर सांसद पार्टी लाइन का ही पालन करते हैं। यही वजह है कि 14 अतिरिक्त वोट NDA उम्मीदवार के खाते में जाना विपक्ष के लिए चिंता का विषय बन गया है।
हालांकि विपक्षी दलों ने क्रॉस वोटिंग की संभावना से इनकार किया है। NCP सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, “जब वोटिंग गुप्त थी तो आपको कैसे पता चला कि किसने किसको वोट दिया?” वहीं RJD के नेता तेजस्वी यादव का कहना है कि उनके सभी नौ सांसदों ने विपक्षी उम्मीदवार को ही वोट दिया।
उद्धव ठाकरे गुट के शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने तीखे शब्दों में आरोप लगाया, “क्या वे सांसद पढ़े-लिखे मूर्ख हैं, जिन्होंने वोट अमान्य कर दिए? या फिर BJP ने खरीद-फरोख्त की?”
तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी ने तो यहां तक कहा कि “भाजपा ने 15-20 करोड़ रुपये खर्च कर सांसदों को खरीदने की कोशिश की। लेकिन गुप्त मतदान की वजह से साफ तौर पर कुछ कहना मुश्किल है।”
वास्तविक आंकड़ों पर नज़र डालें तो विपक्ष का दावा है कि उसके पास 315 सांसदों का समर्थन था, जबकि उसके उम्मीदवार न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी. सुधर्शन रेड्डी को केवल 300 वोट मिले। दूसरी ओर NDA के पास 427 वोट और YSR कांग्रेस के 11 सांसदों का समर्थन था, यानी अधिकतम 438 वोट। बावजूद इसके NDA उम्मीदवार को 452 वोट मिले — यानी 14 अतिरिक्त वोट। साथ ही 15 वोट निरस्त भी हुए।
इन तथ्यों ने विपक्ष की बेचैनी बढ़ा दी है। अब यह सवाल और बड़ा हो गया है कि क्या सचमुच क्रॉस वोटिंग हुई, या विपक्षी दलों के भीतर कोई और दरार छिपी हुई है।
