काठमांडू, 09 सितंबर 2025।
नेपाल में जनरेशन-Z (GenZ) आंदोलन ने सोमवार को बड़ा रूप ले लिया। सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे युवाओं और सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़प में 18 लोगों की मौत हो गई और करीब 250 लोग घायल हो गए। हालाँकि सरकार ने देर शाम सोशल मीडिया पर लगी रोक हटाने का ऐलान कर दिया, लेकिन मंगलवार को भी विरोध प्रदर्शन जारी रहा।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इसे “अप्रिय स्थिति” बताते हुए कहा कि यह हालात सोशल मीडिया के पंजीकरण संबंधी सरकार की प्रक्रिया की जानकारी की कमी और “नयी पीढ़ी की सोच में अस्पष्टता” के कारण बने। उन्होंने साफ किया कि सरकार सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं थी और आगे इसके उपयोग के लिए अनुकूल माहौल सुनिश्चित करेगी।
ओली ने कहा, “आज की घटनाओं से मैं गहरा दुखी हूँ। जिन परिवारों ने अपने प्रियजन खोए हैं, उन्हें संवेदनाएं देता हूँ। सरकार मृतकों के परिवार को मुआवजा देगी और घायलों का इलाज मुफ्त करवाया जाएगा।” उन्होंने 15 दिनों के भीतर घटनाओं की जांच रिपोर्ट पेश करने और भविष्य में ऐसी स्थिति रोकने के उपाय सुझाने की घोषणा की।
इस बीच, नेपाल के संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरूंग ने साफ कर दिया कि प्रधानमंत्री ओली इस्तीफा नहीं देंगे। इधर, प्रदर्शन हिंसक होने पर पुलिस ने गोलीबारी और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। गुस्साई भीड़ संसद की ओर बढ़ने की कोशिश कर रही थी।
नेपाल में हालात बिगड़ने पर ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड, फ्रांस, जापान, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के दूतावासों ने संयुक्त बयान जारी कर गहरी चिंता जताई और हिंसा में मारे गए लोगों पर दुख व्यक्त किया।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह आंदोलन सिर्फ सोशल मीडिया बैन का विरोध नहीं था, बल्कि युवाओं का भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और घटते अवसरों के खिलाफ गुस्सा भी सामने लाया।
