नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक साधारण से वाक्य— “एक बार आप GST देख लो!” —ने देश के कर ढांचे में ऐतिहासिक सुधार की नींव रख दी। दिसंबर 2024 में बजट तैयारियों के दौरान हुई इस बातचीत ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनकी टीम को एक बड़ा बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया।
बीते आठ सालों से लागू GST व्यवस्था में लगातार शिकायतें थीं— कहीं दरें उलझी हुईं, तो कहीं व्यवसायों को अनुपालन में मुश्किलें आ रही थीं। छोटे और मध्यम उद्योग खासतौर पर इससे परेशान थे। पीएम मोदी ने यही बात दोहराई कि “व्यवसाय के लिए इसे सरल बनाइए और दरों में इतना भ्रम क्यों है।”
इसके बाद सीतारमण ने न केवल टैक्स स्लैब्स की समीक्षा शुरू की, बल्कि इस पर भी काम किया कि कारोबारियों को रिटर्न भरने, रजिस्ट्रेशन और रिफंड में आसानी कैसे मिले। खास बात यह रही कि यह प्रस्ताव केवल केंद्र से आया और फिर राज्यों की सहमति के साथ GST काउंसिल ने 3 सितंबर को इसे मंजूरी दी।
क्या बदला नया GST ढांचा?
- 12% और 28% के स्लैब खत्म कर दिए गए।
- अब सिर्फ दो मुख्य दरें होंगी: 5% (सामान्य उपयोग की वस्तुएं) और 18% (बाकी सभी वस्तुएं)।
- पापकर (sin goods) और अति-लक्ज़री सामानों के लिए 40% की अलग दर होगी।
- रोटी, दूध और पनीर पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
- साबुन, शैम्पू, गाड़ियां, ट्रैक्टर और एसी जैसे करीब 400 सामान पहले से सस्ते हो जाएंगे।
- EVs और छोटी कारें अब सिर्फ 5% पर आएंगी।
- स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर प्रीमियम टैक्स-फ्री होगा।
सीतारमण ने इस सुधार को “जनता का सुधार” बताया, जिसका असर हर परिवार पर पड़ेगा। उनका कहना है कि यह बदलाव उपभोग बढ़ाएगा और अर्थव्यवस्था को गति देगा।
उन्होंने कहा कि अब उनकी अगली चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि व्यापारी टैक्स कटौती का पूरा लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाएं। इसके लिए बैकएंड सॉफ्टवेयर 22 सितंबर, नवरात्रि के पहले दिन से तैयार रहेगा, जब नई व्यवस्था लागू होगी।
देश की अर्थव्यवस्था में एक ऐतिहासिक मोड़ के तौर पर देखा जा रहा यह सुधार न केवल चीजों को सस्ता करेगा बल्कि व्यापारियों के लिए कारोबार करना भी सरल बना देगा।
