नियमित विमान सेवाओं से सीधे बड़े शहरों से जुड़ा बस्तर, जगदलपुर एयरपोर्ट बन रहा विकास का नया केंद्र

रायपुर, 07 सितंबर 2025।
छत्तीसगढ़ के 25 वर्षों की विकास यात्रा में परिवहन सुविधाओं का विस्तार एक बड़ी उपलब्धि के रूप में सामने आया है। राजधानी रायपुर पहले से ही देश के प्रमुख शहरों से वायु मार्ग द्वारा जुड़ी थी, लेकिन अब बस्तर, बिलासपुर और अंबिकापुर जैसे शहर भी नियमित विमान सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं। खासकर बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर एयरपोर्ट (माँ दंतेश्वरी हवाई अड्डा) ने क्षेत्र में विकास की नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं।

जगदलपुर एयरपोर्ट का इतिहास बेहद खास है। वर्ष 1939 में ब्रिटिश शासनकाल में निर्मित इस हवाई अड्डे को उस समय “जहाज भाटा” कहा जाता था। केंद्र सरकार की उड़ान योजना के तहत 2017 में एयरपोर्ट का उन्नयन शुरू हुआ और 2019 में इसे 3-सी श्रेणी में अपग्रेड किया गया। इसके बाद एटीआर-72 जैसे विमानों का संचालन संभव हो पाया। वर्ष 2020 में राज्य सरकार ने एयरपोर्ट का नाम बस्तर की आराध्य देवी माँ दंतेश्वरी के नाम पर रखा।

सितंबर 2020 से एलायंस एयर ने जगदलपुर से रायपुर और हैदराबाद के लिए नियमित उड़ानें शुरू कीं। धीरे-धीरे दिल्ली, जबलपुर और बिलासपुर के लिए भी कनेक्टिविटी बढ़ाई गई। मार्च 2024 में इंडिगो एयरलाइंस ने रायपुर और हैदराबाद के लिए दैनिक सेवा प्रारंभ की। वहीं, केंद्रीय सुरक्षा बलों के लिए दिल्ली विशेष सेवा भी संचालित की जा रही है।

अब तक लगभग तीन लाख यात्री जगदलपुर एयरपोर्ट से यात्रा कर चुके हैं। इस सुविधा ने बस्तर के नागरिकों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। गंभीर मरीजों को बड़े शहरों तक तेजी से उपचार हेतु पहुँचाना संभव हुआ है। विद्यार्थी और युवा अब रोजगार व उच्च शिक्षा के लिए सीधे महानगरों तक जा सकते हैं।

हवाई कनेक्टिविटी से बस्तर का व्यापार और पर्यटन भी नई ऊँचाइयों पर पहुँच रहा है। क्षेत्र के हस्तशिल्प, वनोपज और हर्बल उत्पाद अब देश के बड़े बाजारों तक आसानी से पहुँच रहे हैं। वहीं, चित्रकूट और तीरथगढ़ जलप्रपात, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान और ऐतिहासिक बस्तर दशहरा जैसे आकर्षणों तक देश-विदेश से पर्यटकों की पहुँच सरल हुई है।

जगदलपुर एयरपोर्ट अब सिर्फ परिवहन का साधन नहीं, बल्कि बस्तर अंचल की आर्थिक और सामाजिक प्रगति का केंद्र बन चुका है। आने वाले समय में यह एयरपोर्ट न केवल स्थानीय जीवनशैली को बदलेगा, बल्कि बस्तर को राष्ट्रीय और वैश्विक मानचित्र पर एक नई पहचान दिलाएगा।