मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा – संस्कृत शिक्षा आधुनिक युग में भी प्रासंगिक, रायपुर में विराट संस्कृत विद्वत्-सम्मेलन में हुए शामिल

रायपुर, 07 सितंबर 2025।
“भारतीय संस्कृति की आत्मा संस्कृत में निहित है, जो हमें वैश्विक मंच पर एक विशिष्ट पहचान दिलाती है।” – यह कहना था छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय का। वे रविवार को राजधानी रायपुर के संजय नगर स्थित सरयूपारीण ब्राह्मण सभा भवन में आयोजित विराट संस्कृत विद्वत्-सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत भाषा केवल एक प्राचीन भाषा नहीं, बल्कि व्याकरण, दर्शन और विज्ञान की गहरी नींव है, जो तार्किक चिंतन और बौद्धिक विकास को प्रोत्साहित करती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आधुनिक शिक्षा पद्धति में संस्कृत को शामिल करने से विद्यार्थी न केवल ज्ञानवान होंगे, बल्कि जीवन में संतुलन और शांति भी प्राप्त करेंगे।

श्री साय ने सम्मेलन को भारतीय संस्कृति और संस्कारों को सुदृढ़ बनाने का एक महान प्रयास बताते हुए कहा कि वेद, उपनिषद और पुराण जैसे ग्रंथ आज भी विज्ञान, गणित, आयुर्वेद और जीवन-मूल्यों के लिए प्रासंगिक हैं। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे संस्कृत साहित्य से जुड़कर इस अनमोल धरोहर को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाएँ।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने सरयूपारीण ब्राह्मण सभा छत्तीसगढ़ के प्रचार पत्रक का विमोचन किया और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित भी किया। सम्मानित व्यक्तियों में गठिया रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्लेषा शुक्ला, उत्कृष्ट तैराक श्री अनन्त द्विवेदी और पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सच्चिदानंद शुक्ला शामिल थे।

सम्मेलन को संस्कृत भारती के प्रांताध्यक्ष डॉ. दादू भाई त्रिपाठी ने संबोधित किया। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ी भाषा का सीधा संबंध संस्कृत से है और सरगुजा क्षेत्र में सर्वाधिक आदिवासी विद्यार्थी संस्कृत सीख रहे हैं। वहीं, दंडी स्वामी डॉ. इंदुभवानंद महाराज, सभा के अध्यक्ष डॉ. सुरेश शुक्ला और अखिल भारतीय संस्कृत भारती शिक्षण प्रमुख डॉ. श्रीराम महादेव ने भी संस्कृत भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में डॉ. सतेंद्र सिंह सेंगर, श्री अजय तिवारी, श्री बद्रीप्रसाद गुप्ता सहित बड़ी संख्या में संस्कृत शिक्षक, सामाजिक प्रतिनिधि और गणमान्यजन उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री ने अंत में आह्वान किया कि तकनीक की मदद से संस्कृत शिक्षा को आकर्षक और उपयोगी बनाया जाए, ताकि नई पीढ़ी इस भाषा से और गहराई से जुड़ सके।