चंडीगढ़। पंजाब में बाढ़ की स्थिति धीरे-धीरे काबू में आती दिख रही है, लेकिन इसका असर लगातार गहराता जा रहा है। बीते 24 घंटों में अमृतसर और रूपनगर जिलों में 3 और लोगों की मौत हो गई, जिससे राज्य में अब तक बाढ़ से मरने वालों की कुल संख्या बढ़कर 46 हो गई है। वहीं, पठानकोट जिले में 3 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं।
14 जिलों में 1996 गांव प्रभावित
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, बाढ़ से प्रभावित जिलों की संख्या 14 हो चुकी है। अब तक 1996 गांवों में पानी घुस चुका है, जिससे करीब 3.87 लाख की आबादी प्रभावित हुई है। हजारों एकड़ फसलें तबाह हो चुकी हैं, घर ढह गए हैं और पशुधन का भी भारी नुकसान हुआ है।
13 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पंजाब सरकार ने शुरुआती आकलन में बाढ़ से हुए नुकसान का आंकड़ा 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा लगाया है। हालांकि, सरकार का कहना है कि असली तस्वीर पानी उतरने के बाद ही साफ हो पाएगी। हर गुजरते दिन के साथ जमीन, फसल और मकानों को होने वाला नुकसान बढ़ता जा रहा है।
राहत और बचाव कार्य जारी
बाढ़ प्रभावित इलाकों से अब तक 23 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। इसमें भारतीय सेना, वायुसेना, NDRF और BSF की टीमें लगातार जुटी हुई हैं। गुरदासपुर, फाजिल्का, फिरोजपुर, अमृतसर, कपूरथला और तरन तारन जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
स्थानीय लोग और एनजीओ भी प्रशासन के साथ मिलकर राहत और बचाव कार्यों में लगे हुए हैं। कई इलाकों में लोगों ने अपने घरों की छतों और ऊंचाई वाले स्थानों पर शरण ली हुई है।
दुग्ध संघ भी आया आगे
पंजाब की दुग्ध सहकारी संस्था मिल्कफेड ने भी संकट की घड़ी में मदद के लिए मोर्चा संभाल लिया है। संस्था ने दुग्ध उत्पादकों और पशुपालकों की मदद के साथ-साथ यह सुनिश्चित करने के लिए दोहरी रणनीति बनाई है कि किसी भी प्रभावित परिवार को भोजन और पोषण से वंचित न होना पड़े।
मानवता की मिसाल
इस त्रासदी के बीच, गांव-गांव से मानवता की मिसालें सामने आ रही हैं। लोग एक-दूसरे को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा रहे हैं और अपने पास मौजूद राशन का बांटकर इस्तेमाल कर रहे हैं। बाढ़ से तबाह पंजाब का दर्द राज्यभर में महसूस किया जा रहा है।
