रायपुर। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विश्णु देव साय के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार पर अब बड़ा राजनीतिक और संवैधानिक विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने 14वें मंत्री के शपथ ग्रहण को संविधान के अनुच्छेद 164 (1A) का उल्लंघन बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
मुख्यमंत्री ने 20 अगस्त को तीन नए विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई थी। इसके बाद मंत्रियों की कुल संख्या 14 हो गई। लेकिन कांग्रेस का तर्क है कि 90 सदस्यीय विधानसभा में मंत्रियों की संख्या अधिकतम 13 हो सकती है, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 164 (1A) के अनुसार किसी भी राज्य में मंत्रियों की संख्या विधानसभा की कुल संख्या के 15% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
कांग्रेस संचार प्रमुख सुषील आनंद शुक्ला ने कहा,
“हमने इस पर रिट याचिका दायर की है, जिस पर अगले सप्ताह सुनवाई होगी। यह सीधा-सीधा संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन है।”
📜 कांग्रेस का तर्क
विपक्ष के नेता चरणदास महंत ने भी राज्यपाल को पत्र लिखकर एक मंत्री को हटाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि “90 का 15% यानी 13.50 होता है, इसलिए अधिकतम 13 मंत्री ही हो सकते हैं।”
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इस कदम को “असंवैधानिक” बताया। उन्होंने याद दिलाया कि 2004 में 91वें संविधान संशोधन के बाद ही राज्यों में मंत्रियों की संख्या पर यह सीमा तय की गई थी।
बघेल ने यह भी कहा कि 2019 में उनकी सरकार ने बड़े भौगोलिक राज्यों के लिए यह सीमा 20% करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन केंद्र से अनुमति नहीं मिली।
⚖️ सरकार का पक्ष
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा,
“हमने संविधान के दायरे में रहकर ही निर्णय लिया है। हमारे पास हरियाणा जैसे उदाहरण मौजूद हैं। जिन लोगों का इतिहास संविधान की अवहेलना का रहा है, उन्हें आरोप लगाने का कोई अधिकार नहीं।”
गौरतलब है कि राज्यपाल रामेन डेका की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
इस पूरे विवाद ने राज्य की राजनीति को गर्मा दिया है। सत्ता पक्ष अपने निर्णय को वैधानिक ठहरा रहा है, जबकि विपक्ष इसे संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन बता रहा है। अब सभी की निगाहें हाईकोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि 14वां मंत्री पद संवैधानिक है या नहीं।
