वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को अपने ही सोशल मीडिया पोस्ट पर सफाई देते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अमेरिका ने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। ट्रंप ने यह बयान उस Truth Social पोस्ट के बाद दिया, जिसमें उन्होंने लिखा था कि “अमेरिका ने रूस और भारत को चीन के सबसे गहरे अंधकार में खो दिया है।”
व्हाइट हाउस में मीडिया से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा कि वह इस बात से बेहद निराश हैं कि भारत रूस से इतनी बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहा है। उन्होंने कहा, “मैंने भारत को यह साफ कह दिया है। हमने भारत पर 50 प्रतिशत का भारी टैरिफ लगाया है। मेरी प्रधानमंत्री मोदी से अच्छी समझ है। वह कुछ महीने पहले ही यहां आए थे, हमने रोज गार्डन में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी।”
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में चीन के तियानजिन में हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में भारत, रूस और चीन के नेताओं को एक साथ देखा गया था। उसी के बाद ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा था, “लगता है हमने भारत और रूस को चीन के गहरे अंधेरे में खो दिया है। भगवान करे उनकी साझेदारी लंबी और समृद्ध हो।”
ट्रंप के वरिष्ठ सलाहकार पीटर नवारो ने भी भारत पर आरोप लगाया कि वह रूसी तेल से मुनाफा कमा रहा है और उसकी ऊंची टैरिफ नीति अमेरिकी नौकरियों पर असर डाल रही है। वहीं, व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने कहा कि राष्ट्रपति और व्यापार टीम भारत के रूसी तेल आयात से “निराश” हैं, लेकिन उम्मीद है कि आने वाले समय में स्थिति सुधरेगी।
उधर, भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने ट्रंप की ताजा टिप्पणियों पर कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार किया, लेकिन यह जरूर दोहराया कि भारत के किसी भी देश के साथ संबंध “अपने खुद के आधार पर खड़े हैं और उन्हें किसी तीसरे देश की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए।”
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक मुद्दों पर बातचीत जारी है। हालांकि अमेरिकी प्रशासन ने भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है, जिसमें से 25 प्रतिशत पेनल्टी रूसी तेल आयात के कारण बताई जा रही है।
✍️ मानवीय स्पर्श:
ट्रंप की यह नाराजगी दरअसल अमेरिका की उस बेचैनी को दर्शाती है, जिसमें वह भारत को अपनी रणनीतिक धुरी बनाए रखना चाहता है, लेकिन भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और स्वतंत्र विदेश नीति के कारण रूस के साथ कारोबार से पीछे हटने को तैयार नहीं है। यह तनावपूर्ण संवाद बताता है कि दोस्ताना रिश्तों के बावजूद भारत और अमेरिका के बीच हितों की खींचतान बनी हुई है।
