रायपुर, 05 सितम्बर 2025।
छत्तीसगढ़ में शिक्षा के क्षेत्र में एक नई इबारत लिखी जा रही है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन और राजनांदगांव जिला प्रशासन के प्रयासों से अब जिले के मेधावी विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए एक सुनहरा अवसर मिला है। जिले में 11वीं और 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए दो वर्षीय निशुल्क नीट और जेईई कोचिंग की शुरुआत की गई है। इस पहल का शुभारंभ गुरुवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और राजनांदगांव लोकसभा सांसद श्री संतोष पांडेय की उपस्थिति में हुआ।
जिला कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर भुरे ने जानकारी दी कि इस योजना के तहत कुल 684 मेधावी छात्र-छात्राओं को मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराई जा रही है। इसके लिए प्रशासन ने देश के प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान फिजिक्स वाला और भिलाई एजुकेशन चैरिटेबल ट्रस्ट के साथ समझौता किया है।
📘 योजना की प्रमुख विशेषताएँ:
- दो वर्षीय कोचिंग: विशेष रूप से 11वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए।
- निःशुल्क व्यवस्था: जिससे सामान्य और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा।
- अध्ययन सामग्री: विद्यार्थियों को फिजिक्स वाला की हार्ड कॉपी में स्टडी मटेरियल उपलब्ध कराया जाएगा।
- कक्षाएँ: प्रत्येक शनिवार और रविवार को चार घंटे की अवधि के लिए आयोजित होंगी।
- क्लस्टर आधारित व्यवस्था: पूरे जिले को 10 क्लस्टरों में बाँटकर ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- शिक्षकों की क्षमता वृद्धि: स्थानीय शिक्षकों को भी प्रशिक्षण से जोड़ा जाएगा ताकि शिक्षा का स्तर और मजबूत हो सके।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य है कि आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन प्रतिभाशाली विद्यार्थी भी नीट और जेईई जैसी कठिन परीक्षाओं में प्रतिस्पर्धा कर सकें।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने इस पहल पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा—
“राजनांदगांव जिला प्रशासन की यह पहल शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी। यह प्रयास न केवल बच्चों के उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास के साथ राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने का अवसर भी देगा। राज्य सरकार का उद्देश्य है कि हर बच्चा अपनी क्षमता पहचान सके और आगे बढ़ने का उचित अवसर पाए।”
इस अवसर पर विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के चेहरों पर उत्साह और उम्मीद की चमक साफ दिखाई दी। यह पहल राजनांदगांव ही नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में शिक्षा की नई दिशा तय करने वाली साबित हो रही है।
