नई दिल्ली, 05 सितम्बर 2025।
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अपनी ताज़ा शोध रिपोर्ट में कहा है कि जीएसटी (GST) दरों में हालिया कटौती से सरकार को केवल ₹3,700 करोड़ का राजस्व घाटा होगा। यह घाटा बेहद मामूली है और राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) पर कोई असर नहीं डालेगा।
सरकार का अनुमान है कि दरों के इस तर्कसंगतीकरण (rationalisation) का वार्षिक वित्तीय असर करीब ₹48,000 करोड़ रहेगा।
हाल ही में संपन्न 56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक में मौजूदा चार-स्तरीय संरचना (5%, 12%, 18%, 28%) को खत्म कर दो-स्तरीय संरचना लागू की गई है— जिसमें एक मानक दर 18%, दूसरी 5%, और कुछ विशेष वस्तुओं एवं सेवाओं पर 40% डिमेरिट दर रखी गई है।
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस कदम से उपभोग और विकास को बढ़ावा मिलेगा और इसका बैंकिंग क्षेत्र पर भी सकारात्मक असर होगा क्योंकि परिचालन लागत घटेगी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि जीएसटी लागू होने के समय 2017 में औसत भारित दर (effective weighted average rate) 14.4% थी, जो अब घटकर 9.5% तक आने की संभावना है।
आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में (करीब 295 वस्तुएं) दरें 12% से घटाकर 5% या शून्य कर दी गई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इससे खुदरा महंगाई (CPI inflation) में इस वित्तीय वर्ष के दौरान 25 से 30 आधार अंकों (basis points) तक की गिरावट हो सकती है।
कुल मिलाकर, अनुमान है कि 2026-27 तक महंगाई दर पर 65 से 75 आधार अंकों तक राहत देखने को मिलेगी।
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम आम जनता को राहत देगा—जहां रोज़मर्रा की वस्तुएं सस्ती होंगी, वहीं उद्योग जगत और बैंकों की लागत घटने से निवेश का माहौल बेहतर होगा।
