प्रयागराज के शैलेन्द्र गौड़ ने बनाया 176 KMPL का इंजन, 18 साल की मेहनत से सपनों को दी उड़ान

प्रयागराज, 5 सितम्बर 2025।
भारत जैसे देश में जहां वाहन खरीदते समय लोग सबसे पहले माइलेज पूछते हैं – “कितना देती है?” – वहीं प्रयागराज के शैलेन्द्र शिंह गौड़ ने ऐसा इंजन बना डाला है जो एक लीटर पेट्रोल में 176 किलोमीटर तक चल सकता है। यह उपलब्धि केवल एक तकनीकी चमत्कार नहीं, बल्कि वर्षों की मेहनत और बलिदान की कहानी है।

बलिदान से गढ़ा सपना

शैलेन्द्र गौड़, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र, ने 1983 में बीएससी की पढ़ाई पूरी की। उन्हें 2007 में टाटा मोटर्स से नौकरी का प्रस्ताव भी मिला, लेकिन उन्होंने कॉरपोरेट नौकरी के बजाय अपने शोध सपने को चुना।
अपने मकान, दुकान और ज़मीन तक बेचकर उन्होंने अपनी प्रयोगशाला तैयार की और किराए के घर को ही वर्कशॉप में बदल दिया। छह महीने तक एमएनएनआईटी के मैकेनिकल विभाग में प्रोफेसर अनुज जैन के मार्गदर्शन में काम किया और फिर आईआईटी-बीएचयू से भी तकनीकी सुझाव लेकर अपनी खोज को आगे बढ़ाया।

छह-स्ट्रोक इंजन की खासियत

पारंपरिक चार-स्ट्रोक इंजन के मुकाबले यह इंजन दो अतिरिक्त स्ट्रोक जोड़ता है – एक अतिरिक्त विस्तार और एक अतिरिक्त एग्जॉस्ट स्ट्रोक। इससे ईंधन की ऊर्जा का लगभग 70% उपयोग हो पाता है, जबकि सामान्य इंजन केवल 30% ऊर्जा ही खपा पाते हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि यह इंजन मल्टी-फ्यूल है – यानी पेट्रोल, डीजल, सीएनजी और एथेनॉल पर चल सकता है।

रिकॉर्ड तोड़ ट्रायल

2017 मॉडल की 100 सीसी टीवीएस बाइक पर किए गए प्रयोग में यह इंजन केवल 50 मिली पेट्रोल पर 35 मिनट तक चला और 176 किलोमीटर प्रति लीटर का औसत दिया।
एक अन्य टीवी कार्यक्रम में डेमो के दौरान बाइक ने एक लीटर पेट्रोल में 120 किलोमीटर की दूरी तय की। विशेषज्ञों के मुताबिक इस इंजन से निकलने वाला धुआं लगभग नगण्य है और यह भारत स्टेज-VI मानकों के अनुरूप है।

भविष्य की राह

शैलेन्द्र गौड़ को इस तकनीक के लिए दो पेटेंट मिल चुके हैं और कई और आवेदन प्रक्रिया में हैं। अब ज़रूरत है सरकारी और औद्योगिक सहयोग की, जिससे यह क्रांतिकारी इंजन प्रयोगशाला से निकलकर आम जनता तक पहुंचे।
भारत जैसे देश में जहां ईंधन की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और प्रदूषण चिंता का कारण है, शैलेन्द्र का यह इंजन भविष्य की दिशा तय कर सकता है।

शैलेन्द्र कहते हैं – “मेरे लिए यह केवल इंजन नहीं, बल्कि देश की ज़रूरत है। अगर मेरा शोध लोगों के जीवन को आसान बना सके तो यही मेरी सबसे बड़ी सफलता होगी।”