नई दिल्ली, 5 सितम्बर 2025।
केंद्र सरकार ने लगभग 400 वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दरों में व्यापक कटौती की घोषणा की है, जो 22 सितम्बर से लागू होगी। इस फैसले के बाद कंपनियाँ कीमतें समायोजित करने और उपभोक्ताओं तक लाभ पहुँचाने की तैयारी कर रही हैं।
जीएसटी ढांचे के तहत कर उत्पादन और वितरण के कई चरणों पर लगता है। कंपनियाँ इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा कर सकती हैं, लेकिन एक बार जब माल का बिल बन जाता है, तो उस समय लागू जीएसटी दर तय हो जाती है। ऐसे में 22 सितम्बर से पहले बाजार में भेजे गए माल पर पुरानी दर ही लागू रहेगी। इस वजह से कंपनियों, वितरकों और खुदरा विक्रेताओं को मिलकर कीमतों में बदलाव का रास्ता निकालना होगा।
उद्योग जगत की चुनौती
ग्रांट थॉर्नटन भारत के विशेषज्ञ नवीन मालपानी के अनुसार, “व्यापारिक प्रमोशन और स्कीमों में बदलाव करना पड़ेगा। वितरक पुराने जीएसटी पर खरीदे गए माल का क्रेडिट चाहते हैं। साथ ही कंपनियों को अपने ईआरपी सिस्टम, बिलिंग सॉफ्टवेयर और पॉइंट ऑफ सेल मशीनें भी अपडेट करनी होंगी।”
बड़े खुदरा चेन तकनीकी प्लेटफॉर्म्स की वजह से तेजी से बदलाव कर पाएंगे, लेकिन छोटे किराना स्टोर और पारंपरिक दुकानों को समय पर अपडेट करना मुश्किल होगा।
एफएमसीजी सेक्टर
नमकीन और बिस्कुट जैसे ₹5 और ₹10 के पैक वाले उत्पादों में कंपनियाँ कीमत घटाने की बजाय पैक का वजन बढ़ाने की योजना बना रही हैं। वहीं शैंपू, साबुन और टूथपेस्ट जैसी वस्तुओं पर नए रेट के बाद संशोधित स्टिकर लगाए जाएंगे। पुराने स्टॉक पर कीमत का अंतर निर्माता, वितरक और रिटेलर मिलकर क्रेडिट नोट के जरिए एडजस्ट करेंगे, ताकि दुकानदार पर बोझ न पड़े।
उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएँ (Consumer Durables)
टीवी, एसी, फ्रिज और वॉशिंग मशीन जैसे व्हाइट गुड्स पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। कंपनियाँ उम्मीद कर रही हैं कि त्योहारी सीजन में मांग बढ़ेगी। कई निर्माताओं ने पहले ही डीलरों को भरोसा दिलाया है कि वे पुराने रेट पर बिके सामान के नुकसान की भरपाई करेंगे।
उदाहरण के लिए, पहले ₹20,000 के एसी पर ₹5,600 (28%) टैक्स लगता था, जो अब घटकर ₹3,600 हो गया है। इस अंतर से डीलरों को ₹2,000 प्रति यूनिट का नुकसान हो सकता है, जिसे कई निर्माता वहन करने को तैयार हैं।
होटल और हवाई यात्रा
₹7,500 से कम किराए वाले होटल कमरों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। लेकिन इसका लाभ केवल उन ग्राहकों को मिलेगा जो चेक-इन के समय भुगतान करेंगे। एडवांस भुगतान करने वालों पर पुरानी दर ही लागू होगी।
वहीं हवाई टिकटों में प्रीमियम इकोनॉमी, बिज़नेस और फर्स्ट क्लास पर जीएसटी 12% से बढ़ाकर 18% कर दिया गया है। 22 सितम्बर से पहले खरीदे गए टिकटों पर पुराना रेट लागू रहेगा।
बीमा क्षेत्र
स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियों को अब पूरी तरह जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है, जिससे ग्राहकों को लगभग 18% तक की बचत होगी। हालांकि बीमा कंपनियों ने चिंता जताई है कि उन्हें प्रिंटिंग, आईटी और ट्रांसपोर्ट जैसी सेवाओं पर मिलने वाला इनपुट टैक्स क्रेडिट अब नहीं मिलेगा। ऐसे में कुछ कंपनियाँ प्रीमियम घटाने की बजाय नए लाभ जैसे बेहतर रूम एलिजिबिलिटी या अतिरिक्त पर्सनल एक्सीडेंट कवर देने की योजना बना रही हैं।
ऑटोमोबाइल डीलर्स
यह सेक्टर फिलहाल सबसे बड़ी मुश्किल में है। 15 अगस्त को पीएम मोदी द्वारा संभावित कटौती का संकेत देने के बाद कई डीलरों ने भारी स्टॉक जमा कर लिया था। अब दरें घटने के बाद उनके पास पुराना टैक्स दिया हुआ माल पड़ा है, जिस पर उन्हें रिफंड नहीं मिलेगा।
पहले 28% जीएसटी और 22% सेस (कुल 50%) लगने वाली कार पर अब कुल कर 40% रह गया है। लेकिन पुराना स्टॉक डीलरों के लिए भारी घाटे का कारण बन रहा है। कई निर्माता आंशिक मदद दे रहे हैं, लेकिन डीलरों की मांग है कि सरकार राहत प्रदान करे।
आगे क्या होगा?
कंपनियाँ बिलिंग सॉफ्टवेयर अपडेट करने, नए स्टिकर छापने, क्रेडिट नोट जारी करने और डीलरों से तालमेल बैठाने में जुटी हैं। सरकार ने साफ कर दिया है कि उसका उद्देश्य उपभोक्ताओं तक लाभ पहुँचाना है। आने वाले दिनों में सरकार इसकी सख्त निगरानी करेगी कि कंपनियाँ टैक्स कटौती का लाभ लोगों तक पहुँचा रही हैं या नहीं।
