करमा तिहार 2025 में शामिल हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, आदिवासी संस्कृति को बताया धरोहर, करमा दलों को किया सम्मानित

रायपुर, 04 सितम्बर 2025।
राजधानी रायपुर के नवा रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में बुधवार की रात एक खास माहौल देखने को मिला। छत्तीसगढ़ आदिवासी कंवर समाज युवा प्रभाग रायपुर द्वारा आयोजित प्रकृति पर्व भादो एकादशी व्रत – 2025 करमा तिहार का आयोजन यहां धूमधाम से हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।

मुख्यमंत्री ने पारंपरिक विधान से पूजा-अर्चना कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने करमा दलों को सम्मानित कर उनका उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम स्थल पर आदिवासी गीत, नृत्य और पारंपरिक विधियों की झलक ने वातावरण को पूरी तरह लोकसंस्कृति से सराबोर कर दिया।

मुख्यमंत्री का संबोधन – संस्कृति हमारी धरोहर
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा—
“हमारी संस्कृति हमारे पूर्वजों की अमूल्य धरोहर है। इसे जीवंत बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी ही नहीं, बल्कि नैतिक कर्तव्य भी है। करमा तिहार जैसे पर्व समाज को जोड़ने का काम करते हैं, इनमें स्नेह, सौहार्द और भाईचारे की भावना निहित होती है।”

मुख्यमंत्री ने विस्तार से बताया कि आदिवासी समाज में एकादशी करमा, दशहरा करमा और जियुत पुत्रिका करमा विशेष महत्व रखते हैं। एकादशी करमा को बेटियों का पर्व माना जाता है, जिसमें वे उत्तम वर और सुखी गृहस्थ जीवन की कामना करती हैं। दशहरा करमा विवाहोपरांत मायके आने पर मनाया जाता है, जबकि जियुत पुत्रिका करमा माताओं द्वारा संतान की दीर्घायु कामना हेतु कठोर उपवास रखकर मनाया जाता है।

आदिवासी गौरव और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
मुख्यमंत्री श्री साय ने अपने संबोधन में आदिवासी समाज के गौरवशाली इतिहास को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की धरती अंग्रेजों के विरुद्ध 12 आदिवासी क्रांतियों की साक्षी रही है। उन्होंने बताया कि नया रायपुर स्थित ट्राइबल म्यूजियम में आदिवासी नायकों की गाथा को प्रदर्शित किया जा रहा है, जिसका लोकार्पण प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी राज्य के रजत जयंती समारोह के अवसर पर करेंगे।

सरकार की योजनाएँ और आदिवासी सशक्तिकरण पर जोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार आदिवासी समाज को शिक्षा, स्वरोजगार और आर्थिक अवसरों से जोड़कर सशक्त बनाने के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि नई उद्योग नीति में बस्तर और सरगुजा क्षेत्रों को विशेष रियायतें दी गई हैं। साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं की स्थापना की जा रही है ताकि आदिवासी बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अपने ही राज्य में प्राप्त कर सकें।

उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदिवासी समाज के उत्थान हेतु किए गए प्रयासों का उल्लेख किया। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा बनाए गए प्राधिकरणों को भी आदिवासी क्षेत्रों के विकास का महत्वपूर्ण कदम बताया।

वन मंत्री और अन्य नेताओं का संबोधन
कार्यक्रम में वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा कि करमा तिहार प्रकृति प्रेम और हमारी समृद्ध संस्कृति का प्रतीक है। उन्होंने मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में चल रही योजनाओं और बस्तर पांडुम जैसे आयोजनों को छत्तीसगढ़ की पहचान बताया।
अखिल भारतीय कंवर समाज विकास समिति पमशाला, जशपुर की संरक्षक श्रीमती कौशिल्या साय ने कहा कि आदिवासी समाज और प्रकृति एक-दूसरे के अभिन्न अंग हैं। उन्होंने महिलाओं से संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन में अग्रणी भूमिका निभाने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में हुई विशेष उपस्थिति
इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, स्कूल शिक्षा मंत्री श्री गजेन्द्र यादव, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार मंत्री श्री गुरु खुशवंत साहेब, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री राजेश अग्रवाल, रायपुर सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल, विधायक श्री राम कुमार टोप्पो, श्री आशाराम नेताम, श्री प्रबोध मिंज समेत अनेक जनप्रतिनिधि एवं कंवर समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में आदिवासी परंपराओं की झलक के साथ करमा गीत और नृत्य ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह आयोजन न केवल संस्कृति के संरक्षण का संदेश लेकर आया बल्कि युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का भी स्रोत बना।