रायपुर, 04 सितम्बर 2025।
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चक्रधर समारोह 2025 का आठवां दिन रंग, रस और राग की अनूठी छटा से सराबोर रहा। रायगढ़ के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में हुए इस सांस्कृतिक उत्सव में लोक और शास्त्रीय कलाओं का ऐसा अद्भुत संगम देखने को मिला, जिसने दर्शकों को देर तक भावविभोर रखा।

कार्यक्रम का शुभारंभ केंद्रीय राज्य मंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार श्री रामदास अठावले ने विधिवत पूजा-अर्चना, राजा चक्रधर सिंह के चित्र पर पुष्प अर्पित कर और दीप प्रज्वलित कर किया। अपने संबोधन में उन्होंने राजा चक्रधर सिंह को देश का गौरव बताते हुए कहा, “वे केवल रायगढ़ के राजा ही नहीं, बल्कि समाजसेवी और महान संगीत साधक भी थे। उन्होंने गरीबों, किसानों और आदिवासी समाज के उत्थान के लिए जीवन समर्पित किया और कथक को नया आयाम देकर रायगढ़ घराने की स्थापना की। आज उनकी सांगीतिक धरोहर विश्वभर में सम्मान पा रही है।”
इस अवसर पर राज्यसभा सांसद श्री देवेंद्र प्रताप सिंह, रायगढ़ नगर निगम महापौर श्री जीवर्धन चौहान सहित अनेक जनप्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

कथक और संगीत की अनुपम संध्या
आठवें दिन मंच पर विभिन्न नगरों से आए कलाकारों ने शास्त्रीय और लोक कला का अद्भुत प्रदर्शन किया। रायपुर की आशिका सिंघल और संगीता कापसे, दुर्ग की देविका दीक्षित, बिलासपुर की श्रीमती वासंती वैष्णव और उनकी टीम, जबलपुर की श्रीमती निलांगी कालान्तरे, बेंगलुरु के डॉ. लक्ष्मी नारायण जेना ने कथक की विभिन्न शैलियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। रायपुर की श्रीमती अजीत कुमारी कुजूर ने भरतनाट्यम की शुद्धता और सौंदर्य से दर्शकों को प्रभावित किया, वहीं मुंबई के श्री अर्नव चटर्जी ने अपने मधुर गायन से पूरे सभागार में समा बांध दिया।

इसके साथ ही पद्मश्री स्व. डॉ. सुरेन्द्र दुबे की स्मृति में आयोजित विशेष काव्य संध्या में हास्य, वीर रस और व्यंग्य से भरपूर कविताओं ने दर्शकों को देर तक बांधे रखा। तालियों की गड़गड़ाहट कवियों का उत्साहवर्धन करती रही।
अबूझमाड़ के मल्लखंब दल ने लहराया परचम
चक्रधर समारोह का सबसे बड़ा आकर्षण रहा अबूझमाड़ का प्रसिद्ध मल्लखंब दल। जब दल के नेता मनोज प्रसाद के नेतृत्व में कलाकार मंच पर उतरे तो पूरा सभागार रोमांचित हो उठा। खंभे पर ताकत, संतुलन और जिम्नास्टिक की अद्भुत मुद्राओं ने दर्शकों को थाम लिया।

विशेषकर इंडियाज गॉट टैलेंट सीजन-10 के विजेता नरेंद्र गोटा और फुलसिंह सलाम की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को खड़े होकर तालियाँ बजाने पर मजबूर कर दिया। ये वही कलाकार हैं, जिन्होंने बस्तर और नारायणपुर के छोटे गांवों से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक अपनी पहचान बनाई है और भारत का नाम रोशन किया है।

अबूझमाड़ मल्लखंब अकादमी (स्थापना वर्ष 2018) ने आदिवासी अंचलों की प्रतिभाओं को निखार कर देश-विदेश में पहुंचाया है। अब तक यहां से 500 से अधिक राष्ट्रीय पदक विजेता तैयार हो चुके हैं। 50 से अधिक बच्चे यहां रहकर शिक्षा और मल्लखंब की विधिवत ट्रेनिंग ले रहे हैं। प्रशिक्षक मनोज प्रसाद की मेहनत और समर्पण ने इन बच्चों को विश्वस्तरीय मंच दिलाया है।
समारोह के इस अविस्मरणीय दिन ने एक बार फिर साबित किया कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर और ग्रामीण प्रतिभाएं न सिर्फ राज्य बल्कि देश और दुनिया में भी अपनी अमिट पहचान बना रही हैं।
