सितंबर 04, 2025 रायपुर। छत्तीसगढ़ के निजी महाविद्यालयों में संचालित डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड.) पाठ्यक्रम की फीस आखिरकार तय होने जा रही है। छह साल से लंबित इस मुद्दे पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग को नियमों और कानून के अनुसार जल्द निर्णय लेने का निर्देश जारी किया है।
2019 से अटका हुआ था मामला
राज्य के 66 निजी कॉलेजों में डीएलएड. कोर्स की फीस 2019 से तय नहीं की गई थी। इस दौरान कॉलेज प्रबंधन लगातार शुल्क निर्धारण की मांग करता रहा, लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। नतीजतन कॉलेजों और विद्यार्थियों दोनों के बीच असमंजस की स्थिति बनी रही।
एसोसिएशन की याचिका और तर्क
एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट प्रोफेशनल अनएडेड कॉलेजेस ऑफ छत्तीसगढ़ ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि—
- 13 अगस्त 2025 को उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग को फीस तय करने का पत्र लिखा था।
- फरवरी 2024 की एएफआरसी अधिसूचना के मुताबिक डीएलएड. पाठ्यक्रम की फीस तय की जानी चाहिए थी।
- बीएड. पाठ्यक्रम की तरह डीएलएड. के लिए भी समान शुल्क लेने की अनुमति दी जाए।
एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता क्षितिज शर्मा ने दलील दी कि विभागीय अधिकारियों ने अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया और इससे संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) के तहत संघ एवं संस्थान चलाने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है।
हाईकोर्ट का आदेश
मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने कहा—
“याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन पर नियमों, विनियमों और कानून के अनुसार शीघ्र विचार कर उचित निर्णय लिया जाए।”
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि एसोसिएशन चाहे तो संबंधित प्राधिकारी के समक्ष अतिरिक्त अभ्यावेदन दाखिल कर सकता है।
कॉलेजों और छात्रों को राहत की उम्मीद
निजी कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि फीस तय होने से वित्तीय पारदर्शिता आएगी और संस्थानों को बेहतर ढंग से संचालित करने में मदद मिलेगी। वहीं, छात्रों और अभिभावकों को भी यह जानने में सुविधा होगी कि उन्हें तयशुदा दर से ही शुल्क देना होगा।
बलौदाबाजार के एक निजी कॉलेज संचालक ने कहा—
“छह साल से फीस तय न होने से संस्थान आर्थिक दबाव में थे। कोर्ट के आदेश से अब स्थिति स्पष्ट होगी।”
