दुर्ग, 03 सितम्बर 2025।
हेमचंद यादव विश्वविद्यालय में कुलपति और कुलसचिव के बीच अधिकारों की खींचतान का सीधा असर शोधार्थियों और विद्यार्थियों पर पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि करीब 68 शोधार्थियों के पीएचडी शोधग्रंथों का मूल्यांकन पिछले एक साल से लंबित है। इसका सबसे बड़ा नुकसान उन शोधार्थियों को हुआ है जो हाल ही में निकली अतिथि प्राध्यापक (गेस्ट फैकल्टी) की भर्ती में आवेदन करना चाहते थे। पीएचडी की डिग्री नहीं मिलने के कारण वे आवेदन से वंचित रह गए।
शोधग्रंथ मूल्यांकन में अड़चन
सूत्रों के अनुसार, पूर्व कुलपति के कार्यकाल में कुलसचिव ने मौखिक अनुमति के आधार पर शोधग्रंथ मूल्यांकनकर्ताओं को भेजे, लेकिन नोटशीट पर इसका उल्लेख नहीं किया। इसी बीच नए कुलपति की नियुक्ति हुई। नए कुलपति प्रो. (डॉ.) संजय तिवारी ने मौजूदा प्रक्रिया पर आपत्ति जताते हुए शोधग्रंथों को दोबारा नए मूल्यांकनकर्ताओं के पास भेजने की बात कही। इस निर्णय से शोधार्थियों की प्रतीक्षा और बढ़ गई है।
पुनर्मूल्यांकन के नतीजे भी अटके
विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर की परीक्षाओं के परिणाम जून-जुलाई में घोषित किए गए थे। अकादमिक कैलेंडर के अनुसार 16 अगस्त तक पुनर्गणना और पुनर्मूल्यांकन के परिणाम आ जाने चाहिए थे, लेकिन शिक्षकों का पैनल न बन पाने और उत्तर पुस्तिकाओं की छंटाई न हो पाने के कारण परिणाम अब तक जारी नहीं हो पाए। इस देरी से विद्यार्थियों की समस्या बढ़ गई है। कई छात्र न तो अन्य संस्थानों में प्रवेश ले पा रहे हैं और न ही पूरक परीक्षा के लिए आवेदन कर पा रहे हैं।
कुलपति और कुलसचिव आमने-सामने
कुलपति प्रो. संजय तिवारी का कहना है कि कुलसचिव सीधे डिप्टी रजिस्ट्रार पद से आए हैं, इसलिए विश्वविद्यालय अधिनियम की बारीकियों से पूरी तरह परिचित नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि छुट्टी, वेतनवृद्धि, प्रोत्साहन राशि से लेकर पीएचडी शोधग्रंथ तक की फाइलों पर कुलसचिव स्वयं हस्ताक्षर कर आगे बढ़ा देते हैं, जबकि यह काम कुलपति की अनुमति से ही होना चाहिए।
वहीं कुलसचिव भूपेंद्र कुलदीप का कहना है कि वह अपने अधिकारों के तहत ही कार्य कर रहे हैं। उनके अनुसार, “कुलसचिव विवि का बड़ा अधिकारी होता है। हर काम के लिए कुलपति से पूछना जरूरी नहीं है।”
अधिकारों की परिभाषा
- धारा 15 के अनुसार कुलपति विश्वविद्यालय के मुख्य प्रशासनिक और अकादमिक अधिकारी हैं तथा सभी परिषदों और समितियों के अध्यक्ष होते हैं।
- धारा 16 के अनुसार कुलसचिव विवि के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी हैं और सभी समितियों के पदेन सचिव होते हैं। लेकिन प्रत्येक कार्य को कुलपति की मौखिक या लिखित अनुमति से करना अनिवार्य है।
छात्रों की बढ़ती परेशानी
इस खींचतान का असर सीधे छात्रों और शोधार्थियों पर पड़ रहा है। प्रशासनिक और अकादमिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं। शोधार्थी पीएचडी पूरी करने के इंतजार में हैं, जबकि विद्यार्थी परिणाम न आने से भविष्य को लेकर असमंजस में हैं। विश्वविद्यालय का अकादमिक कैलेंडर भी पटरी से उतरने लगा है।
