दुर्ग, 03 सितंबर 2025।
पर्यावरण संरक्षण से लेकर सड़क सुरक्षा और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे सामाजिक मुद्दों को लेकर ‘डैंजर्स एडवेंचर्स स्पोर्ट्स लांगेस्ट वर्ल्ड टूर ऑन फुट जर्नी’ की टीम छत्तीसगढ़ के 33 जिलों में जनजागरूकता अभियान चला रही है। यह टीम गिनीज बुक और लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज उपलब्धियों के लिए जानी जाती है। इसके सदस्य— श्री अवध बिहारी लाल, श्री जितेंद्र प्रताप, श्री महेंद्र प्रताप और श्री गोविंदा नंद— अब तक विश्व के 11 देशों की यात्रा पूरी कर चुके हैं और लगभग 4 लाख 52 हजार किलोमीटर की पदयात्रा कर चुके हैं।
दुर्ग में तीन दिवसीय कार्यक्रम
छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान टीम ने 1 से 3 सितंबर 2025 तक दुर्ग जिले में तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया। इस दौरान स्कूलों, कॉलेजों, गांवों और सार्वजनिक स्थानों पर जाकर युवाओं और नागरिकों को पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण, जल संरक्षण, सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा, स्वच्छ भारत मिशन, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और मतदाता जागरूकता जैसे विषयों पर जागरूक किया।

14.5 करोड़ पौधों का वृक्षारोपण
टीम ने अपनी अब तक की यात्राओं में 14 करोड़ 50 लाख से अधिक पौधों का वृक्षारोपण कराया है। यही नहीं, वे सिर्फ प्रचार-प्रसार तक सीमित नहीं रहे, बल्कि विभिन्न स्थलों का स्थलीय निरीक्षण कर वहां के लोगों को व्यवहारिक उदाहरणों के जरिए जागरूक भी कर रहे हैं।
एक व्यक्तिगत पीड़ा से शुरू हुई पदयात्रा
इस विश्वशांति विश्वपदयात्रा की शुरुआत 30 जुलाई 1980 को हुई थी, जब उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के निवासी श्री अवध बिहारी लाल ने भयंकर बाढ़ में अपना पूरा परिवार खो दिया। वे खुद एक बरगद के पेड़ से चिपके कई घंटों तक पानी से संघर्ष करते रहे और सेना व रेस्क्यू टीम ने उनकी जान बचाई।
इस घटना ने उनका जीवन बदल दिया। उन्होंने संकल्प लिया कि वे पूरी दुनिया में लोगों को पर्यावरण संरक्षण, वन संरक्षण, जल संरक्षण और सड़क सुरक्षा जैसे मुद्दों के प्रति जागरूक करेंगे।
बलिदान और संघर्ष से बनी मिशाल
इस यात्रा के दौरान टीम के कई सदस्य शहीद भी हो चुके हैं, लेकिन उनका संकल्प और हौसला आज भी कायम है। वर्तमान में टीम में लगभग 20 सदस्य सक्रिय हैं और वे निरंतर अपने उद्देश्य के प्रति कार्यरत हैं।
भारत के 600 जनपदों की यात्रा
यह टीम अब तक भारत के लगभग 600 जनपदों की यात्रा कर चुकी है। इसमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गोवा, राजस्थान और गुजरात जैसे कई राज्य शामिल हैं। छत्तीसगढ़ में उन्होंने दो जिलों की यात्रा पूरी कर ली है और अब शेष जिलों में अभियान जारी रहेगा।
यह यात्रा केवल एक अभियान नहीं, बल्कि एक जीवन जीने का संकल्प है, जो लोगों को बताती है कि यदि दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो व्यक्तिगत पीड़ा को भी समाज सेवा का मार्ग बनाया जा सकता है।
