दुर्ग, 03 सितम्बर 2025।
सड़क दुर्घटनाओं में हो रही जानहानि को रोकने और लोगों को सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए जिला प्रशासन ने एक सख्त कदम उठाया है। जिला मजिस्ट्रेट द्वारा अधिसूचना जारी कर सभी पेट्रोल पंपों पर “नो हेलमेट, नो पेट्रोल” नियम लागू कर दिया गया है। अब पेट्रोल पंप संचालक बिना हेलमेट पहने किसी भी वाहन चालक को पेट्रोल नहीं देंगे।
पेट्रोल पंपों में इस आशय के बोर्ड लगाए जा चुके हैं। प्रशासन का कहना है कि यह निर्णय जनता की सुरक्षा के लिए है और लोगों को हेलमेट पहनने की आदत डालने के लिए आवश्यक है। आमजन इसे सड़क सुरक्षा की दिशा में स्वागत योग्य कदम मान रहे हैं।
हालाँकि, इस नियम के साथ ही जनता के बीच सड़कों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल भी उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि हेलमेट दुर्घटनाओं से बचाव में मददगार है, लेकिन यदि सड़कें ही सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाली हों तो हादसों की संख्या स्वतः कम हो सकती है। कई नागरिकों ने गुस्से में कहा कि घटिया सड़क निर्माण ठेकेदारों को मालामाल कर रहा है, जबकि जिम्मेदार विभागीय अधिकारी उन पर कार्रवाई करने के बजाय उनकी ढाल बने रहते हैं।

नागरिकों का तर्क है कि जब वाहन खरीदने के समय रोड टैक्स दिया जाता है तो सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि सड़कों का निर्माण और मरम्मत उच्च स्तर की हो। दुखद यह है कि आज तक घटिया सड़क निर्माण के लिए जिम्मेदार ठेकेदारों और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई।
लोगों ने बस्तर की उस घटना का भी उल्लेख किया, जहाँ एक पत्रकार ने घटिया सड़क निर्माण और भ्रष्टाचार का खुलासा किया था, जिसके बाद उसकी जान तक ले ली गई। यह उदाहरण जनता के बीच असुरक्षा और आक्रोश को और गहरा कर रहा है।
जनता की राय है कि यदि सरकार वास्तव में सड़क दुर्घटनाओं को कम करना चाहती है, तो उसे न केवल हेलमेट नियम लागू करना चाहिए बल्कि घटिया सड़क निर्माण के जिम्मेदार ठेकेदार और अधिकारियों पर आपराधिक मामला दर्ज करने का भी प्रावधान करना चाहिए। तभी सड़क सुरक्षा के प्रयास पूरी तरह सफल होंगे।
