बीजिंग, 3 सितम्बर 2025।
चीन ने बुधवार को अपनी सैन्य शक्ति का भव्य प्रदर्शन करते हुए दुनिया को पहली बार अपने आधुनिक हथियारों, अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों, मिसाइलों और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम से रूबरू कराया। राजधानी बीजिंग के ऐतिहासिक तियानआनमेन स्क्वायर पर आयोजित इस भव्य परेड में सैकड़ों चीनी सैनिकों ने मार्च किया। यह आयोजन चीन की जापानी आक्रमण पर द्वितीय विश्व युद्ध में मिली जीत की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुआ।
इस मौके पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनकी पत्नी पेंग लीयुआन ने विदेशी मेहमानों का स्वागत किया। दुनिया भर से 26 राष्ट्राध्यक्ष और नेता इसमें शामिल हुए, जिनमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन, ईरान, मलेशिया, म्यांमार, मंगोलिया, इंडोनेशिया, जिम्बाब्वे और मध्य एशियाई देशों के प्रमुख नेता मौजूद रहे।
भारत के पड़ोसी देशों से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़, नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईज़्ज़ू भी इस ऐतिहासिक परेड के साक्षी बने।
सबसे ज्यादा ध्यान उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन पर रहा, जो मंगलवार रात ट्रेन से बीजिंग पहुंचे थे। खास बात यह रही कि वह अपनी बेटी किम जू-ए के साथ आए। 2019 के बाद यह उनकी चीन यात्रा है। हाल के महीनों में किम और शी जिनपिंग के रिश्तों को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, क्योंकि किम ने रूस के साथ अपने रिश्ते मजबूत किए और यूक्रेन युद्ध में सैनिक भेजकर पुतिन का समर्थन किया।
बीजिंग में पुतिन, शी और किम की संयुक्त मौजूदगी को अमेरिका और उसके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक स्पष्ट संदेश माना जा रहा है। ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 50% टैरिफ लगाते हुए रूस से तेल खरीदने पर कड़ा रुख अपनाया था। यह परेड शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की तियानजिन में हुई बैठक के तुरंत बाद आयोजित हुई, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शी और पुतिन से अलग-अलग मुलाकात की थी।
इस आयोजन को लेकर चीन और जापान के बीच कूटनीतिक तनातनी भी देखने को मिली। जापान ने विश्व नेताओं से परेड में शामिल न होने की अपील की थी, जिस पर चीन ने सख्त आपत्ति दर्ज कराई।
भव्य परेड के जरिए चीन ने न केवल अपने सैन्य उपकरणों की ताकत दिखाई बल्कि शी जिनपिंग की वैश्विक नेतृत्व छवि को भी मजबूती देने का प्रयास किया। तियानआनमेन स्क्वायर को शानदार तरीके से सजाया गया था और सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने दावा किया कि उसके आधुनिक हथियार अब अमेरिकी सेना के समकक्ष हैं।
यह आयोजन न सिर्फ चीन की ताकत का प्रदर्शन था बल्कि बदलते वैश्विक समीकरणों का भी संकेत था, जहां बीजिंग, मॉस्को और प्योंगयांग की नजदीकियां एक नए शक्ति केंद्र के उभरने की गवाही देती हैं।
