दुर्ग, 01 सितम्बर 2025।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पूरे प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया है। कलेक्टर श्री अभिजीत सिंह के मार्गदर्शन और जिला पंचायत सीईओ श्री बजरंग कुमार दुबे की सतत निगरानी से यह उपलब्धि संभव हो सकी। प्रशासन के संगठित प्रयास और टीम भावना ने ग्रामीणों के लिए ’मकान’ के सपने को हकीकत में बदल दिया है।
उपलब्धियों का आंकड़ा
वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2024-25 तक दुर्ग जिले को 41,666 आवासों का लक्ष्य मिला, जिसमें से –
- 92.6% आवासों को स्वीकृति दी गई,
- 95.9% हितग्राहियों को द्वितीय किस्त जारी की गई,
- 70.6% आवासों का निर्माण पूर्ण कर लिया गया।
इसके साथ ही मनरेगा के तहत 90 दिनों का रोजगार 86.2% हितग्राहियों को मिला, जो पूरे प्रदेश में सर्वाधिक है।
मिशन मोड में काम
जिला प्रशासन ने इस योजना को मिशन मोड में चलाया। जनपद और ग्राम पंचायत स्तर पर अधिकारियों को प्रतिदिन निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए। हर दिन की प्रगति की समीक्षा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई।
सीईओ श्री बजरंग दुबे ने बताया, “हमने प्रत्येक स्तर पर प्रगति के अनुसार किस्तों की राशि समय पर हस्तांतरित की। सामूहिक प्रयास और सतत निगरानी से ही यह संभव हो पाया।”
वर्ष 2024-25 का लक्ष्य
वित्तीय वर्ष 2024-25 में दुर्ग जिले को 12,788 नए आवासों का लक्ष्य मिला। इसे पूरा करने के लिए:
- ग्राम पंचायतों में सचिव, रोजगार सहायक और तकनीकी सहायकों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया।
- ‘आवास मित्रों’ की नियुक्ति कर उन्हें प्रशिक्षण दिया गया, ताकि लाभार्थियों को हर स्तर पर सहयोग मिल सके।
- राजमिस्त्रियों को प्रशिक्षित किया गया ताकि निर्माण में विलंब न हो।
- स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को समन्वयक बनाकर उन्हें भी सहभागी बनाया गया।
- बड़े गांवों में निर्माण सामग्री का केंद्रीकृत भंडारण कर लाभार्थियों को सामग्री आसानी से उपलब्ध कराई गई।
ग्रामीणों की बदलती जिंदगी
इस योजना से ग्रामीण परिवारों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है। अब कच्ची झोपड़ी में बारिश टपकने या गर्मी-सर्दी झेलने की जगह पक्के मकान में सुरक्षित जीवन संभव हुआ है। कई ग्रामीण महिलाएँ कहती हैं कि अपने घर की चाबी मिलना उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा है।
राज्य के लिए बना मॉडल
दुर्ग जिले की कार्यप्रणाली अब पूरे छत्तीसगढ़ के लिए एक मॉडल के रूप में सामने आ रही है। फील्ड लेवल पर मजबूत निगरानी, संसाधनों का कुशल प्रबंधन और टीम भावना इस सफलता की कुंजी बनी।
