चंबा बाढ़ में शीतला पुल के पास बहता लकड़ी का ढेर – विभाग ने कहा यह ‘ड्रिफ्ट वुड’, अवैध कटाई की अफवाह निराधार

चंबा, 1 सितम्बर 2025।
पिछले हफ्ते आई बाढ़ के दौरान चंबा शहर के शीतला पुल के पास भारी मात्रा में लकड़ी बहकर आने से जिले में बड़े पैमाने पर अवैध कटाई की आशंका जताई जाने लगी थी। सोशल मीडिया और स्थानीय अखबारों में यह चर्चा फैल गई कि बाढ़ में स्लीपर (कटी लकड़ी) बहते पाए गए हैं।

हालांकि, वन विभाग ने सोमवार को इस मामले पर स्पष्ट किया कि यह मात्र ड्रिफ्ट वुड (बहकर आई लकड़ी) और प्राकृतिक रूप से उखड़े पेड़ हैं, न कि अवैध रूप से काटे गए जंगलों की लकड़ी।

वनमंडलाधिकारी (DCF) कृतज्ञ कुमार ने बताया कि 23 से 26 अगस्त के बीच हुई भारी बारिश और बादल फटने से चंबा जिले में भूस्खलन और बाढ़ की स्थिति बनी। इसी दौरान पहाड़ियों से कई पेड़ जड़ों समेत उखड़कर रावी नदी में बह गए। उन्होंने कहा, “मैदान स्तर की जांच में स्पष्ट पाया गया कि कोई भी कटी हुई लकड़ी या स्लीपर घटनास्थल पर नहीं मिले हैं।”

अधिकारियों के अनुसार, इन बहकर आई लकड़ियों का स्रोत सिर्फ पहाड़ों से उखड़े पेड़ ही नहीं हैं, बल्कि एनएचपीसी की चम्बेरा-II (बग्गा) और चम्बेरा-III (हिबड़ा, भरमौर) बांधों में सालभर जमा होता रहा बहावजनित मलबा भी है। जब भारी जलप्रवाह के समय बांधों के गेट खोले जाते हैं, तो यह सामग्री नीचे की ओर बह जाती है और कुछ समय के लिए शीतला पुल जैसे स्थानों पर अटक जाती है।

वन विभाग ने बताया कि बहकर आई लकड़ियों में देवदार, तोष, कैल, चीड़, पिक और चौड़ी पत्ती वाले अन्य वृक्षों की प्रजातियाँ शामिल हैं। विभाग ने सरकारी संपत्ति की सुरक्षा के लिए तुरंत कदम उठाए हैं और लकड़ी को व्यवस्थित तरीके से निकालकर सुरक्षित रखा जा रहा है।

स्थानीय निवासियों के लिए राहत की बात है कि इस आपदा के बीच भी अवैध कटाई जैसी आशंकाओं को विभाग ने तुरंत दूर कर स्पष्ट जानकारी दी।