रायपुर, 30 अगस्त 2025।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी पर गंभीर चिंता जताई है। कोर्ट ने साफ कहा कि डॉक्टरों के रिक्त पद, मरीजों की अत्यधिक भीड़, टेस्ट के लिए जरूरी रीजेंट्स की अनुपलब्धता और रात में पर्याप्त मेडिकल स्टाफ की गैरमौजूदगी जैसी खामियां स्वास्थ्य व्यवस्था की वास्तविक तस्वीर सामने ला रही हैं।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्त गुरु की खंडपीठ ने स्वास्थ्य विभाग के सचिव द्वारा दायर हलफनामों पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि—
“राज्य सरकार ने प्रयास तो किए हैं, लेकिन मरीजों की संख्या की तुलना में ये अब भी अपर्याप्त हैं। उम्मीद है सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए और ठोस कदम उठाएगी।”
पृष्ठभूमि
हाईकोर्ट ने पहले ही सरकारी अस्पतालों की बदतर हालत पर संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए थे। हलफनामे में बताया गया कि:
- बिल्हा ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में 50 बिस्तरों की सुविधा है, लेकिन 9 विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद में से 6 खाली पड़े हैं।
- 3 पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल ऑफिसर क्लास-II के पद भी रिक्त हैं।
- केवल एक मेडिकल ऑफिसर और एक दंत चिकित्सक (एनएचएम के तहत) कार्यरत हैं।
- एनेस्थेटिस्ट के अभाव में आपातकालीन व रात की सर्जरी संभव नहीं है।
- एक्स-रे मशीन और हमर लैब फिलहाल चालू हैं, लेकिन रीजेंट की आपूर्ति बाधित होने के कारण परीक्षणों में दिक्कतें आईं।
डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति अस्पताल और डीकेएस अस्पताल में मरीजों की संख्या बेहद अधिक बताई गई। सचिव ने दावा किया कि पंजीयन काउंटर पर कोई देरी की शिकायत नहीं आई है। हालांकि, कोर्ट ने टिप्पणी की कि हलफनामों में “राज्यभर में जंग लगे/अस्वच्छ सर्जिकल ब्लेड की आपूर्ति” का कोई जिक्र नहीं है।
कोर्ट का निर्देश
कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिया कि वह बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ठोस कदम उठाएं और विस्तृत हलफनामा पेश करें। साथ ही छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSCL) को भी आदेश दिया कि अस्पतालों में आवश्यक किट उपलब्ध कराई जाएं।
अब मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर 2025 को होगी।
