जिला न्यायालय दुर्ग का मध्यस्थता केन्द्र बना उदाहरण, अवकाश के दिन भी मिला न्याय

दुर्ग, 29 अगस्त 2025।
अक्सर कहा जाता है कि न्याय में देरी, न्याय से वंचित करने जैसा है। इसी सोच को बदलते हुए जिला न्यायालय दुर्ग के मध्यस्थता केन्द्र ने एक अनोखी पहल कर मिसाल पेश की है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं माननीय उच्चतम न्यायालय की मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति (एमसीपीसी) के संयुक्त निर्देशन में चल रहे “मीडियेशन फॉर द नेशन” कार्यक्रम के अंतर्गत दुर्ग में यह पहल देखने को मिली।

स्थानीय अवकाश 28 अगस्त 2025 को, जब न्यायालय परिसर शांत रहता है, उस दिन भी मध्यस्थता केन्द्र दुर्ग में न्याय की गूंज सुनाई दी। अवकाश के बावजूद केन्द्र प्रभारी और मध्यस्थों ने अपने निजी समय का त्याग कर तीन प्रकरणों की सुनवाई की। खास बात यह रही कि सभी तीनों मामलों में उभयपक्ष के बीच आपसी सहमति से समझौता हो गया, जिससे लंबे समय से लंबित विवादों का समाधान संभव हो सका।

यह कार्यवाही इस बात का प्रतीक है कि न्याय की राह कभी बंद नहीं होती। पक्षकारों ने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि वर्षों तक अदालत में खिंचने वाले विवाद का निपटारा मध्यस्थता की मदद से अवकाश के दिन कुछ ही घंटों में हो गया।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, दुर्ग की यह पहल समाज में यह संदेश देती है कि आपसी संवाद, सहयोग और समझ से हर विवाद का समाधान संभव है। मध्यस्थता न केवल समय और धन की बचत करती है बल्कि रिश्तों को भी टूटने से बचाती है।

इस पहल ने यह साबित कर दिया कि जब न्याय के प्रति समर्पण सच्चा हो तो अवकाश भी बाधा नहीं बन सकता। दुर्ग का यह प्रयास देशभर के लिए एक प्रेरणादायी उदाहरण है।