छत्तीसगढ़ में बड़ा फैसला: बच्चों और ‘शिक्षादूतों’ की हत्या करने वाले समर्पित नक्सलियों को नहीं मिलेगी पुनर्वास नीति का लाभ

रायपुर, Aug 28, 2025

छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सली हिंसा के सबसे अमानवीय पहलुओं पर कड़ा रुख अपनाते हुए साफ कर दिया है कि जो नक्सली बच्चों और ‘शिक्षादूतों’ की हत्या में शामिल रहे हैं, उन्हें राज्य सरकार की नक्सल समर्पण, पीड़ित राहत और पुनर्वास नीति 2025 का लाभ नहीं मिलेगा। यह घोषणा उप मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा ने मंगलवार को की।

शर्मा ने कहा, “ऐसी घृणा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यदि कोई बच्चे और ‘शिक्षादूतों’ की हत्या करता है, तो उसका हृदय कभी बदल नहीं सकता, चाहे वह समर्पण कर भी दे। ऐसे लोगों को किसी भी सूरत में नीति का लाभ नहीं दिया जाएगा।”

गृहमंत्री ने कहा कि माओवादी भले ही संविधान में विश्वास न रखते हों, लेकिन राज्य सरकार बस्तर के हर कोने में संविधान की आत्मा और उसकी भावना लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बच्चों और शिक्षकों की हत्या को “कायरता का आखिरी काम” करार दिया।

‘शिक्षादूत’ वे स्थानीय युवक-युवतियां हैं, जिन्होंने कक्षा 10वीं या 12वीं तक पढ़ाई की है और गांवों में बंद पड़ी स्कूलों को फिर से शुरू करने का प्रयास करते हैं। कई स्वेच्छा से पढ़ाते हैं तो कुछ को मानदेय भी मिलता है। लेकिन नक्सलियों के लिए यही युवा दुश्मन बन जाते हैं। हाल ही में सुकमा और बीजापुर जिलों में चार ‘शिक्षादूतों’ की हत्या के मामले दर्ज किए गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कई घटनाएं डर और धमकी के कारण रिपोर्ट तक नहीं हो पातीं।

विजय शर्मा ने नाराजगी जताते हुए कहा, “नक्सलियों के अपने बच्चे दिल्ली और हैदराबाद में पढ़ाई करते हैं, लेकिन वे बस्तर के गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित कर देते हैं। वे स्कूलों को बम से उड़ाते हैं, शिक्षकों की हत्या करते हैं और बच्चों को अंधेरे में धकेलते हैं। यह अपराध क्रूरता से भी परे है।”

स्थानीय लोगों ने बताया कि बीजापुर के सिलगेर इलाके में हाल ही में ‘शिक्षादूतों’ को धमकाया गया, उनके मोबाइल छीन लिए गए और स्कूल जाने से मना कर दिया गया। पुलिस का कहना है कि नक्सली अक्सर मोबाइल फोन खंगालते हैं ताकि यह पता चल सके कि कोई शिक्षक या ग्रामीण पुलिस से संपर्क में तो नहीं।

इस कठोर फैसले से यह साफ संदेश गया है कि जो नक्सली मासूमों और शिक्षा के दूतों की हत्या करेंगे, उन्हें समाज की मुख्यधारा में लौटने का कोई अवसर नहीं मिलेगा।