रायपुर, 27 अगस्त 2025।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी योगेश पटेल की अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत द्वारा सुनाई गई 10 साल की कठोर कारावास की सजा को बरकरार रखा है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने स्पष्ट किया कि यदि मैट्रिक का प्रमाण पत्र उपलब्ध और प्रामाणिक है तो पीड़िता की उम्र तय करने के लिए इसे निर्णायक सबूत माना जाएगा।
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पीड़िता की गवाही ही दोष सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो अधिनियम), भानुप्रतापपुर, जिला उत्तर बस्तर कांकेर ने 31 दिसंबर 2021 को दोषी योगेश पटेल को 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी।
मामला कैसे शुरू हुआ
9 जून 2019 को पीड़िता ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि गांव के ही निवासी योगेश पटेल ने शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने मामले की जांच करते हुए पीड़िता और आरोपी की मेडिकल जांच कराई, गवाहों के बयान दर्ज किए और उम्र की पुष्टि के लिए स्कूल रिकॉर्ड सहित अन्य दस्तावेज जब्त किए।
हाईकोर्ट ने इन सभी तथ्यों और पीड़िता की स्पष्ट गवाही को आधार मानते हुए कहा कि निचली अदालत का फैसला सही था और इसे बदला नहीं जा सकता।
