छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट सख्त: स्कूल के बच्चों को फिनायल मिला सब्ज़ी परोसे जाने की घटना पर गंभीर टिप्पणियाँ

रायपुर, 27 अगस्त 2025।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सुकमा जिले के पकेला आवासीय पोटाकेबिन स्कूल में बच्चों को दी जाने वाली सब्ज़ी में फिनायल पाए जाने की घटना पर कड़ा रुख अपनाया है। यह मामला स्वतः संज्ञान (सुओ मोटू) याचिका के तहत चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की डिवीजन बेंच में सुना गया।

बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि “यह घटना चौंकाने वाली है। फिनायल की एक बूंद भी इंसान, विशेषकर बच्चों के लिए जानलेवा हो सकती है। ऐसे मामलों को केवल लापरवाही नहीं बल्कि आपराधिक कृत्य माना जाएगा।”

कोर्ट ने कहा कि अगर आवासीय स्कूल के 426 छात्र यह भोजन कर लेते तो इसका परिणाम बेहद विनाशकारी होता और सैकड़ों परिवारों का विश्वास शिक्षा व सुरक्षा व्यवस्था से उठ जाता।

कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को तत्काल प्रभाव से व्यापक दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया है। साथ ही अगली सुनवाई 17 सितंबर 2025 को मुख्य सचिव से शपथ-पत्र (अफिडेविट) में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

कोर्ट के निर्देश:

  • प्रतिदिन भोजन का शिक्षकों द्वारा चखना और रजिस्टर में रिकॉर्ड रखना।
  • रसोई की नियमित जांच और खाद्य सामग्री से रसायनों को अलग रखना।
  • जिलों में नोडल अधिकारी नियुक्त कर निगरानी सुनिश्चित करना।
  • स्कूल व छात्रावास की रसोई और डाइनिंग हॉल में CCTV कैमरे लगाना।
  • भोजन बनाने वाले स्टाफ को स्वच्छता और आपातकालीन प्रशिक्षण देना।
  • जानबूझकर मिलावट पाए जाने पर तुरंत पुलिस को सूचना और FIR दर्ज करना।
  • पैरेंट-टीचर समिति बनाकर भोजन की गुणवत्ता पर निगरानी।
  • सभी स्कूल-छात्रावासों में फर्स्ट-एड किट और आवश्यक दवाएं उपलब्ध रखना।
  • नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र (PHC/CHC) से आपातकालीन मदद के लिए टाई-अप।
  • भोजन गुणवत्ता संबंधी शिकायतों के लिए राज्य स्तरीय हेल्पलाइन।
  • हर घटना, चाहे छोटी हो या बड़ी, जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर को रिपोर्ट करना।
  • भोजन योजनाओं का त्रैमासिक, अर्धवार्षिक और वार्षिक स्वतंत्र ऑडिट कराना।

कोर्ट ने साफ चेतावनी दी कि यदि भविष्य में लापरवाही पाई गई तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।