नई दिल्ली, 25 अगस्त 2025।
केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित कानून को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। यह कानून कहता है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री किसी गंभीर अपराध के मामले में गिरफ्तार होकर 30 दिनों से अधिक समय तक जेल में रहता है, तो उसे पद से हटा दिया जाएगा।
गृहमंत्री अमित शाह ने इस कानून का जोरदार बचाव करते हुए कहा, “क्या यह उचित है कि कोई मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री जेल से देश चलाए? यह हमारे लोकतंत्र की गरिमा के अनुकूल नहीं है।” शाह ने स्पष्ट किया कि यह कानून छोटे अपराधों पर लागू नहीं होगा, बल्कि उन पर लागू होगा जो भ्रष्टाचार या ऐसे अपराधों में आरोपी हैं जिनमें पाँच साल से अधिक की सज़ा का प्रावधान है।
हालाँकि, आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा कि अगर किसी मंत्री को झूठे मामले में जेल भेज दिया जाए और बाद में वह निर्दोष साबित हो, तो क्या तब झूठा आरोप लगाने वालों को भी सज़ा होगी?
केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाया, “जो लोग गंभीर अपराधों में फंसे नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर मंत्री बनाते हैं, क्या ऐसे प्रधानमंत्री या मंत्री को भी इस्तीफ़ा देना चाहिए?”
यह बहस उस पृष्ठभूमि में तेज हुई है जब केजरीवाल खुद पिछले वर्ष कथित शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार हुए थे और जेल से बाहर आने के बाद भी मुख्यमंत्री पद पर बने रहे। बाद में उन्होंने चुनावी हार के बाद पद छोड़ा था।
इस कानून पर विपक्षी दलों ने भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार इसका इस्तेमाल विरोधियों को निशाना बनाने के लिए कर सकती है और यह देश को “पुलिस स्टेट” की ओर ले जाएगा।
अब नज़र इस बात पर है कि संसद में इस कानून पर चर्चा के दौरान क्या सहमति बन पाती है या यह एक और बड़े राजनीतिक टकराव की वजह बनेगा।
