भिलाई, 25 अगस्त 2025।
छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (CSVTU) की हालिया शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। आरोप है कि असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती एक पूर्व-नियोजित और भ्रष्ट तंत्र का हिस्सा रही, जिसमें मेरिट और पारदर्शिता को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया।
सूत्रों के अनुसार चयनित उम्मीदवारों में अधिकांश पहले से विश्वविद्यालय में अस्थायी फैकल्टी के रूप में कार्यरत थे। इतना ही नहीं, कई चयनित उम्मीदवार तत्कालीन अधिकारियों, कर्मचारियों या प्रभावशाली व्यक्तियों के नजदीकी रिश्तेदार बताए जा रहे हैं। इससे यह संदेह गहराता है कि भर्ती प्रक्रिया महज़ एक औपचारिकता थी, जबकि असली निर्णय पहले ही तय कर लिए गए थे।
परीक्षा और इंटरव्यू में अनियमितता
लिखित परीक्षा में 100 वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे गए, लेकिन OMR शीट पर छोड़े गए प्रश्नों की संख्या दर्शाने का कोई प्रावधान नहीं था। उम्मीदवारों को OMR की कार्बन कॉपी भी नहीं दी गई, जिससे वे अपने उत्तरों और अंकों का मिलान नहीं कर सके। परिणाम केवल लॉगिन आईडी पर दिखाए गए और इंटरव्यू लिस्ट में एप्लिकेशन नंबर डाल दिए गए—इससे उम्मीदवारों के लिए वास्तविक मेरिट और चयन प्रक्रिया को समझ पाना असंभव हो गया।
युवाओं का आरोप – “पढ़ाई गूगल से करो”
कुछ छात्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि चयनित शिक्षक न तो पढ़ाने में रुचि रखते हैं और न ही कक्षाओं में समय पर आते हैं। आरोप है कि कई बार शिक्षक कक्षा में आकर छात्रों से कहते हैं—“गूगल या AI से पढ़ लो।” यही कारण है कि विश्वविद्यालय विभाग (UTD) में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या लगातार घट रही है और पढ़ाई की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सरकार की चुप्पी और छात्रों की निराशा
भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं को लेकर सरकार से सैकड़ों शिकायतें की गई हैं, मगर अब तक किसी जांच के संकेत नहीं मिले हैं। युवाओं का कहना है कि जब तक इस घोटाले की निष्पक्ष जांच नहीं होती और योग्य अनुभवी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होती, तब तक शिक्षा का स्तर गिरता ही जाएगा।
छात्रों ने राज्य सरकार से मांग की है कि CSVTU शिक्षक भर्ती घोटाले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, दोषियों को दंडित किया जाए और विश्वविद्यालय में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित की जाए।
