रायपुर, 24 अगस्त 2025। छत्तीसगढ़ में चल रही MBBS काउंसलिंग पर उठे सवालों के बीच निदेशालय चिकित्सा शिक्षा (CGDME) ने सफाई दी है। अभिभावकों और छात्रों द्वारा अनियमितताओं के आरोप लगाए जाने के बाद विभाग ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) की पात्रता सूची और राज्य की मेरिट सूची में अंतर नियमों और प्रक्रियाओं की वजह से है।
DME अधिकारियों ने बताया कि NTA द्वारा 26 जुलाई 2025 को जारी सूची केवल पात्रता स्थिति पर आधारित थी, जिसमें छात्रों के डोमिसाइल प्रमाणपत्र शामिल नहीं किए गए थे। वहीं राज्य अपनी मेरिट सूची आवेदकों के दस्तावेज़ों और डोमिसाइल शर्तों के आधार पर तैयार करता है। इसलिए कई बार अंतर दिखाई देता है।
उदाहरण देते हुए विभाग ने कहा कि महाराष्ट्र के डोमिसाइल नियमों के अनुसार, छात्रों को कक्षा 10वीं और 12वीं वहीं से पास करना जरूरी है। लेकिन यदि कोई छात्र छत्तीसगढ़ से 12वीं पास करता है और यहां का डोमिसाइल रखता है, तो वह राज्य की मेरिट सूची में शामिल होगा, भले ही उसने NEET फॉर्म में महाराष्ट्र को पात्रता राज्य बताया हो।
इसी तरह, केंद्रीय सेवाओं या रक्षा सेवाओं से जुड़े अभिभावकों के बच्चों का पात्रता राज्य और वास्तविक डोमिसाइल अलग हो सकता है। कई छात्र कोटा या राजस्थान में पढ़ाई करते समय वही पता भरते हैं, लेकिन डोमिसाइल छत्तीसगढ़ का होता है, जिससे वे राज्य की सूची में शामिल हो जाते हैं।
आरक्षण को लेकर भी भ्रम सामने आया। कई छात्र फॉर्म में ‘सेंट्रल OBC’ लिख देते हैं, लेकिन यदि वे राज्य की OBC सूची में शामिल नहीं हैं, तो उन्हें अनारक्षित वर्ग में मौका दिया जाता है। इसी तरह SC/ST प्रमाणपत्र काउंसलिंग के समय मान्य माने जाते हैं।
CGDME ने स्पष्ट किया कि काउंसलिंग की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन और पारदर्शी तरीके से की जा रही है। पहले चरण की काउंसलिंग में कुल 1,988 सीटें आवंटित की गईं, जिनमें 1,396 MBBS और 284 BDS सीटों पर दाखिला सुनिश्चित हुआ। अब दूसरे चरण की काउंसलिंग 27 अगस्त से शुरू होगी।
हालांकि कुछ अभिभावकों का आरोप है कि NTA द्वारा भेजी गई 22,261 उम्मीदवारों की सूची में शामिल न होने वाले छात्रों को भी सीटें दी गई हैं, जिससे छत्तीसगढ़ के कई पात्र छात्रों का भविष्य प्रभावित हो सकता है। इस पर उन्होंने उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
