रायपुर, 21 अगस्त 2025।
छत्तीसगढ़ की बिगड़ती प्रदूषण स्थिति मंगलवार को लोकसभा में गूंज उठी। रायपुर सांसद और वरिष्ठ भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने नियम 377 के तहत यह मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार से तत्काल ठोस कदम उठाने की मांग की।
अग्रवाल ने सदन को बताया कि देश के 131 गैर-उपलब्धि शहरों (Non-attainment cities) में, जहाँ प्रदूषण का स्तर तय मानकों से कहीं अधिक है, छत्तीसगढ़ के तीन शहर—रायपुर, कोरबा और भिलाई शामिल हैं। इसके अलावा रायगढ़ और जांजगीर-चांपा की स्थिति भी बेहद चिंताजनक बताई गई।
उन्होंने कहा कि रायपुर के आसपास के औद्योगिक क्षेत्र—सिलतरा, उरला और बोरझरा—प्रदूषण के बड़े केंद्र बन चुके हैं। यहां की हवा और पानी में लगातार मिल रहे जहरीले तत्व स्थानीय निवासियों की सेहत और आजीविका दोनों पर गहरा असर डाल रहे हैं।
अग्रवाल ने जानकारी दी कि पर्यावरण संरक्षण मंडल छत्तीसगढ़ ने नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (NEERI) से रायपुर के 142 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का विस्तृत अध्ययन कराया है। उन्होंने मांग की कि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए और इसकी सिफारिशों पर अब तक उठाए गए कदमों की जानकारी दी जाए।
सांसद ने पूरे राज्य का पर्यावरणीय आकलन कराने और 2025 तक प्रदूषण के स्तर को स्पष्ट रूप से दर्ज करने के लिए एक नई स्वतंत्र स्टडी कराने की मांग की। साथ ही उन्होंने कहा कि जैव विविधता संरक्षण और वृहद वृक्षारोपण से न केवल प्रदूषण घटेगा बल्कि किसानों को भी साफ-सुथरी जमीन और बेहतर कृषि-उद्यानिकी उत्पादन का लाभ मिलेगा।
अपनी अपील के अंत में अग्रवाल ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि “छत्तीसगढ़ की जनता को स्वच्छ हवा और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है।”
