छत्तीसगढ़ कैबिनेट विस्तार : पहली बार हरियाणा फॉर्मूला, 14 मंत्रियों की टीम में ओबीसी को सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व

रायपुर, 21 अगस्त 2025।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बुधवार को अपने मंत्रिमंडल का बहुप्रतीक्षित विस्तार कर दिया। प्रदेश की राजनीति में यह ऐतिहासिक पल रहा क्योंकि राज्य गठन के 25 साल बाद पहली बार मुख्यमंत्री समेत 14 विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिली है। इसे हरियाणा फॉर्मूला कहा जा रहा है, जिसमें क्षेत्रीय और जातीय समीकरण को संतुलित करने की पूरी कोशिश दिखाई देती है।

साय कैबिनेट में इस बार ओबीसी वर्ग का दबदबा है। कुल 14 मंत्रियों में से 7 ओबीसी समुदाय से हैं। वहीं अनुसूचित जनजाति (ST) समाज से 3 मंत्री, अनुसूचित जाति (SC) और सामान्य वर्ग से 2-2 मंत्रियों को जगह मिली है।

प्रदेश में यह नया प्रयोग इसलिए भी खास है क्योंकि पिछली सरकारों में अधिकतम 13 मंत्री ही बने थे—चाहे भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार हो या डॉ. रमन सिंह की तीन बार की बीजेपी सरकार।

क्षेत्रीय संतुलन पर फोकस

  • सरगुजा संभाग से सबसे ज्यादा 5 मंत्री बनाए गए हैं, जिनमें खुद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी शामिल हैं।
  • दुर्ग संभाग से 3 मंत्री शामिल किए गए हैं। दुर्ग शहर के पहले बार विधायक गजेंद्र यादव ने शपथ लेकर राजनीति में नई शुरुआत की है।
  • रायपुर संभाग से अब 2 मंत्री हो गए हैं, जिनमें गुरु खुशवंत साहेब का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है।
  • बस्तर संभाग से केदार कश्यप को जगह दी गई है।
  • बिलासपुर संभाग से भी 3 मंत्री शामिल किए गए हैं।

जातीय समीकरण की बारीकी

  • ओबीसी समाज को सर्वाधिक 7 सीटें दी गई हैं।
  • सतनामी समाज से गुरु खुशवंत साहेब को मंत्री बनाना बीजेपी की रणनीतिक चाल मानी जा रही है। सतनामी समाज राज्य की आबादी का लगभग 13% है और एक बड़ा वोटबैंक माना जाता है।
  • अंबिकापुर से विधायक राजेश अग्रवाल को मंत्री बनाकर बीजेपी ने कांग्रेस के कद्दावर नेता टीएस सिंहदेव को करारा राजनीतिक संदेश दिया है, जिन्हें वे हाल ही में हराकर विधानसभा पहुंचे थे।

साय कैबिनेट विस्तार के बाद प्रदेश की राजनीति में नई हलचल तेज हो गई है। समर्थक इसे सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन की ओर बड़ा कदम बता रहे हैं, तो विपक्ष इसे महज़ सत्ता समीकरण साधने का प्रयास कह रहा है।