दंतेवाड़ा, 21 अगस्त 2025।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने बताया कि उन्हें अब जंगल का कठोर जीवन, लगातार हिंसा और माओवादी विचारधारा की सच्चाई समझ आ चुकी है। कई ने साफ कहा कि अब वे समाज की मुख्यधारा से जुड़कर शांति से जीना चाहते हैं और अपने परिवार का भविष्य सुधारना चाहते हैं।
आत्मसमर्पण दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक कार्यालय में हुआ। इस मौके पर दंतेवाड़ा रेंज के डीआईजी कमलोचन कश्यप, सीआरपीएफ डीआईजी राकेश चौधरी, एसपी गौरव राय और सीआरपीएफ की 111वीं, 230वीं व 231वीं बटालियन के कमांडेंट मौजूद थे।
सरकार की पुनर्वास नीति
राज्य सरकार की नीति के तहत हर आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को 50,000 रुपये की तात्कालिक मदद दी जाएगी। इसके अलावा उन्हें कृषि भूमि, स्वरोजगार, प्रशिक्षण और समाज में फिर से बसने के अवसर प्रदान किए जाएंगे।
अभियानों की कामयाबी
- पिछले 18 महीनों में दंतेवाड़ा में बड़ी संख्या में नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।
- लोन वर्राटू अभियान के तहत अब तक 1,042 नक्सली हथियार छोड़ चुके हैं, जिनमें 267 इनामी नक्सली भी शामिल हैं।
- इनमें 837 पुरुष और 205 महिलाएं हैं, जो दंतेवाड़ा के अलावा बस्तर, बीजापुर और नारायणपुर से भी हैं।
अधिकारियों का कहना है कि इस सफलता का राज सिर्फ सख्त सुरक्षा अभियान ही नहीं, बल्कि गांवों में विश्वास बहाली, सामाजिक पहल और मनोवैज्ञानिक सहयोग भी है।
नक्सल हिंसा से पीड़ित बस्तर अंचल में यह घटनाक्रम सरकार की रणनीति और स्थानीय लोगों की बदलती सोच का संकेत माना जा रहा है।
