नई दिल्ली, 20 अगस्त 2025।
लोकसभा ने बुधवार को ऑनलाइन गेमिंग प्रोत्साहन एवं विनियमन विधेयक, 2025 को पारित कर दिया। यह विधेयक देश की सबसे तेज़ी से बढ़ती इंडस्ट्री में से एक के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ है। हालांकि, जहां ई-स्पोर्ट्स जगत में खुशी की लहर है, वहीं रियल मनी गेमिंग से जुड़ी कंपनियों और खिलाड़ियों में निराशा गहराई है।
विपक्ष के हंगामे और शोरगुल के बीच पारित हुए इस विधेयक ने एक नया मोड़ ला दिया है। अब केंद्र सरकार के अधीन एक केंद्रीय नियामक संस्था बनेगी, जो चार प्रमुख खंडों — ई-स्पोर्ट्स, शैक्षिक गेम्स, सोशल गेमिंग और रियल मनी गेमिंग — को नियंत्रित करेगी।
सबसे बड़ा झटका रियल मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स को लगा है। विधेयक में स्पष्ट प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन मनी गेम या उससे जुड़ी सेवाओं की पेशकश, प्रचार या वित्तीय लेन-देन नहीं कर सकेगा। बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी इन प्लेटफॉर्म्स से जुड़े लेन-देन से रोक दिया गया है।
कड़ी सज़ाएँ भी होंगी लागू
यदि कोई सेवा प्रदाता रियल मनी गेम्स की पेशकश करते पाया गया, तो उसे तीन साल की जेल या एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। विज्ञापन देने वालों पर भी दो साल तक की जेल या 50 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
सरकार का तर्क है कि ऑनलाइन मनी गेमिंग से युवाओं और आर्थिक रूप से कमजोर तबकों में गंभीर सामाजिक, वित्तीय और मानसिक नुकसान हुए हैं। इसे रोकने के लिए कठोर कदम आवश्यक था।
खेल जगत पर असर
क्रिकेट, जो लंबे समय से फैंटेसी गेमिंग कंपनियों पर प्रायोजन के लिए निर्भर रहा है, इस निर्णय से सबसे प्रभावित होगा। फिलहाल ड्रीम11 भारतीय क्रिकेट टीम का स्पॉन्सर है और हर साल करोड़ों रुपये का करार करता है। इसी तरह My11Circle के पास आईपीएल फैंटेसी अधिकार हैं। कई क्रिकेटरों के व्यक्तिगत विज्ञापन करार भी अब खतरे में पड़ सकते हैं।
स्पोर्ट्स लॉयर विदुष्पत सिंघानिया ने कहा, “भारतीय क्रिकेट को प्रायोजकों की कमी नहीं होगी, लेकिन खिलाड़ियों के निजी करारों में गिरावट आएगी। फैन इंगेजमेंट पर भी असर पड़ेगा।”
ई-स्पोर्ट्स के लिए सुनहरा अवसर
दूसरी ओर, ई-स्पोर्ट्स समुदाय ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया है। NODWIN Gaming के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक अक्षत राठी ने कहा, “सरकार की मंशा ई-स्पोर्ट्स को मान्यता और प्रोत्साहन देने की है। यह एक संगठित और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी इकोसिस्टम बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।”
चूंकि 2027 में ई-स्पोर्ट्स ओलंपिक डेब्यू करने जा रहा है, ऐसे में यह विधेयक इस सेक्टर को वैधता और नया भविष्य देने वाला साबित हो सकता है।
विधेयक पर अब राज्यसभा की मुहर लगना बाकी है, लेकिन लोकसभा से पारित होने के साथ ही भारत के ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर के लिए एक नए युग की शुरुआत हो चुकी है।
