वाराणसी, 19 अगस्त 2025।
आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर भारतीय रेलवे ने हरित ऊर्जा की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाई है। बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (BLW) ने देश में पहली बार सक्रिय रेल पटरियों के बीच हटाने योग्य (removable) सौर पैनल सिस्टम स्थापित किया है। इस अनोखे प्रोजेक्ट का उद्घाटन स्वतंत्रता दिवस पर महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह ने किया।
यह पायलट प्रोजेक्ट BLW वर्कशॉप की लाइन नंबर 19 पर शुरू किया गया है। इसमें स्लीपर (पटरी के नीचे लगे बीम) पर सौर पैनल लगाए गए हैं। खास बात यह है कि इन्हें कभी भी आसानी से हटाया जा सकता है, जिससे पटरियों की मरम्मत और रखरखाव में कोई दिक्कत न आए।
महाप्रबंधक सिंह ने कहा – “यह प्रोजेक्ट सौर ऊर्जा के उपयोग को एक नया आयाम देगा और भविष्य में भारतीय रेल के लिए हरित ऊर्जा उत्पादन का मज़बूत मॉडल बनेगा।” उन्होंने मुख्य विद्युत सेवा अभियंता भरद्वाज चौधरी और उनकी टीम की मेहनत की सराहना की।
तकनीकी नवाचार
इस परियोजना में तकनीकी चुनौतियों को दूर करने के लिए पैनलों के नीचे रबर पैड लगाए गए हैं, ताकि गुजरती ट्रेनों से होने वाले कंपन कम हों। पैनलों को एपॉक्सी एडहेसिव से मजबूती से स्लीपर से जोड़ा गया है। सफाई आसान बनाने और मरम्मत के समय निकालने के लिए इन्हें केवल चार SS एलेन बोल्ट्स से फिक्स किया गया है।
पायलट प्रोजेक्ट में 70 मीटर लंबे ट्रैक पर 28 पैनल लगाए गए हैं, जिनकी क्षमता 15 KWp है। इससे प्रति किलोमीटर 220 KWp पावर डेंसिटी और 880 यूनिट प्रतिदिन ऊर्जा घनत्व प्राप्त होगी। प्रत्येक पैनल का आकार 2278×1133×30 मिमी है और इनमें उच्च दक्षता वाले मोनोक्रिस्टलाइन बाइफेसियल सेल्स का इस्तेमाल हुआ है।
भविष्य की संभावना
भारतीय रेलवे का नेटवर्क करीब 1.2 लाख किलोमीटर लंबा है। अधिकारी मानते हैं कि इस तकनीक को विशेषकर यार्ड लाइनों पर बड़े पैमाने पर लागू किया जा सकता है, जहां अतिरिक्त भूमि की ज़रूरत नहीं होगी। अनुमान है कि प्रति किलोमीटर सालाना 3.21 लाख यूनिट बिजली उत्पन्न की जा सकेगी।
मानवीय स्पर्श
रेलवे कर्मचारियों और इंजीनियरों की टीम ने इसे ‘हरित भारत’ के सपने की ओर कदम बताते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ ऊर्जा और स्वच्छ वातावरण देने की दिशा में यह पहल मील का पत्थर साबित होगी। बनारस की धरती से शुरू यह प्रयास भारतीय रेल के नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य की ओर एक बड़ी शुरुआत है।
