नई दिल्ली, 19 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश के लिए पिछले आठ वर्षों का सबसे बड़ा कर सुधार प्रस्तावित किया है। इस सुधार के तहत रोज़मर्रा की ज़रूरी वस्तुओं और छोटी कारों पर उपभोग कर (GST) घटाने की योजना है। नया प्रावधान अक्टूबर से लागू हो सकता है।
भारत ने 2017 में “वन नेशन, वन टैक्स, वन मार्केट” के सिद्धांत पर GST लागू किया था, जिससे दर्जनों घरेलू राज्य कर एकीकृत हो गए। शुरुआत में इसे स्वतंत्रता के बाद सबसे बड़ा कर सुधार कहा गया, लेकिन समय के साथ इसे “बहुत जटिल” बताकर आलोचना भी हुई।
अब सरकार ने GST की 28% स्लैब समाप्त करने और 12% वाली अधिकांश वस्तुओं (जैसे मक्खन, जूस, ड्राई फ्रूट्स) को 5% श्रेणी में लाने का प्रस्ताव रखा है। वहीं, छोटी कारों पर टैक्स 28% से घटाकर 18% करने की योजना है।
इससे उपभोक्ताओं को बड़ा फायदा मिलेगा। रोज़मर्रा की ज़रूरत की वस्तुओं जैसे हेयर ऑयल, टूथपेस्ट सस्ते होंगे। सीमेंट और निर्माण सामग्री पर टैक्स कम होने से मकान और इंफ्रास्ट्रक्चर की लागत भी घट सकती है। वहीं, एसी, टीवी और रेफ्रिजरेटर जैसे घरेलू उपकरण भी पहले से सस्ते हो जाएंगे।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से न केवल महंगाई पर नियंत्रण होगा बल्कि उपभोग बढ़ने से भारत की जीडीपी को भी बल मिलेगा। IDFC FIRST बैंक का अनुमान है कि अगले 12 महीनों में भारत की नाममात्र GDP में 0.6 प्रतिशत अंकों की वृद्धि हो सकती है।
हालांकि, इस सुधार से सरकार को करीब 20 अरब डॉलर की कर वसूली में कमी आने की आशंका है। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि GST ढांचे में बदलाव आसान नहीं है। इसे लागू करने के लिए GST काउंसिल (जिसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करती हैं और सभी राज्यों के प्रतिनिधि इसमें शामिल होते हैं) की मंजूरी ज़रूरी है।
राज्यों की सहमति सबसे बड़ी कसौटी होगी क्योंकि GST से होने वाली आय उनके राजस्व का अहम हिस्सा है। कई बार राज्यों ने लॉटरी, कसीनो और ऑनलाइन गेमिंग जैसे मामलों में दर तय करने का विरोध किया है।
यह सुधार अगर हरी झंडी पा गया, तो उपभोक्ताओं को दिवाली से पहले बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
